जिस घर में बच्चे हो वहां शोर-शराबा और हंगामा न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। बच्चों को ज्यादा प्यार और दुलार देने से या तो वे बिगड़ जाते हैं या फिर सुधर जाते हैं। बच्चों को अनुशासन में रखने का काम थोड़ा मुश्किल है। कई बार बच्चों की शरारतों के कारण मां-बाप को परेशानी हो जाती है। ऐसा ही कुछ एक्ट्रेस लीसा रे के साथ हुआ। बच्चों के कारण लीसा रे के पैरों में गंभीर चोट लग गई है। इसकी जानकारी खुद एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया के जरिए दी है।
लीसा रे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं जिसमें वह वैसाखी का सहारा लेकर खड़ी नजर आ रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कैप्शन में लिखा, 'बच्चे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं। बस यही मुझे कहना है।' बता दें लीसा रे की दो जुड़वा बेटियां सूफी और सोलेल हैं। लीसा सरोगसी के जरिए जुड़वा बेटियों की मां बनी थी।
भई, बच्चे जब भी घर में फ्री होते है तो बहुत सारी शरारतें करते हैं। बच्चे हर वो काम करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। अगर शरारती बच्चों को सही समय रहते न समझाया जाएं तो यही शरारती बच्चे बड़े होकर बिगड़ैल बन जाते हैं। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे पेरेंटिंग टिप्स देते हैं जो आपके बच्चे के व्यवहार को सुधारने में काफी फायदेमंद साबित होंगे।
शरारती बच्चों को ना दें सजा
बच्चों को बार-बार सजा देना ठीक नहीं है। बार-बार सजा देने से बच्चा अंदर से कठोर बन जाता है। ऐसे में वह अपने अंदर की फीलिंग आपको नहीं बता पाता और न ही आपसे किसी भी तरह की बात शेयर करता है। इससे अच्छा है कि आप उनके साथ एक दोस्त की तरह रहे और उन्हें अनुशासन में रहने के लिए समझाएं।
हर जगह जाने की अनुमति न दें
कई बच्चे ऐसे होते हैं कि वह हर जगह जाने कि जिद करते हैं और मां-बाप भी उन्हें भेज देते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है क्योंकि ऐसे में बच्चों को खुली आजादी मिल जाती हैं जिससे कि वह जिद्दी और शरारती हो जाते हैं।
गलती का एहसास करवाएं
बच्चो की शरारतें अक्सर मां-बाप पर भारी पड़ जाती है। ऐसे में अक्सर देखा जाता है कि जब बच्चा गलती करता है तब मां-बाप उन्हें मारते हैं या फिर गाली-गलोच करते हैं। आपका ऐसा करना ठीक नहीं है, इससे बच्चे जिद्दी हो जाते हैं। आपके इस बर्ताव से उनके मन में आपके लिए इज्जत भी कम हो जाती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप उन्हें उनकी गलती का एहसास करवाएं।
बच्चों के काम को सम्मान दें
बच्चों को हर बात पर गुस्सा दिखाने के बजाएं उन्हें सम्मान दें। अगर बच्चा कोई छोटा सा भी काम करता हैं तो उसकी तारीफ करें। उन्हें बताएं कि तुम इससे भी बेहतर बहुत कुछ कर सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे का ध्यान शरारतों की तरफ कम जाएगा और वह आपकी हर बात मानेगा।