केरल में सबसे बड़ी पहेली बने सिस्टर अभया मर्डर केस का फैसला आ चुका है। 28 साल बाद, 22 दिसंबर 2020 को इस मर्डर केस में अदालत ने 2 आरोपियों को दोषी ठहराया। एक कॉन्वेंट में नन रहीं 18-19 साल की अभया की हत्या के लिए एक पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
आरोपियों को मिली उम्र कैद की सजा
उम्रकैद के साथ कोट्टूर को धारा 302 के तहत 5 लाख का जुर्माना, सबूत मिटाने के लिए 7 साल की जेल और कॉन्वेंट में गैर-अधिकृत तरीके से दाखिल होने के लिए उम्रकैद की सजा दी गई है। वहीं, सिस्टर सेफी को धारा 302 के तहत मर्डर के लिए उम्रकैद, 5 लाख जुर्माना, सबूत मिटाने के लिए 7 सालों की सजा मिली है। बता दें कि इस मामले में दूसरे पादरी फूथराकयाल को पिछले साल छोड़ दिया गया है।
तीन बार जांच के बार मिला मर्डर का इशारा
बता दें कि इस केस में पहले पुलिस ने जांच की थी, जिसमें कोई नतीजा ना निकल पाने की वजह से केस क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। लंबी तफ्तीश के बाद क्राइम ब्रांच ने इस केस को हत्या नहीं सुसाइड घोषित किया। इसके बाद केस CBI को सौंपा गया, जिसमें भी सुसाइड की रिपोर्ट की पेश की गई लेकिन 16 साल बाद CBI की तीसरी रिपोर्ट में हत्या का इशारा था।
क्या है पूरा मामला?
यह मर्डर मिस्ट्री 28 साल पहले 27 मार्च, 1992 की सुबह शुरू हुई थी, जब 21 साल की सिस्टर अभया का शव कुएं में पाया गया। CBI की रिपोर्ट के मुताबिक, कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में सिस्टर अभया की की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि उन्होंने थॉमस कोट्टूर, 1 अन्य पादरी होजे फूथराकयाल और सिस्टर सेफी को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। जब तक सिस्टर अभया भाग पातीं आरोपियों ने उन्हें पकड़कर पीड़िता का मुंह दबा दिया क्योंकि वह चीखने की कोशिश कर रही थीं। तभी सिस्टर सोफी ने किचन से कुल्हाड़ी लेकर अभया के सिर पर मार दी।
हमले के बाद अभया जमीन पर बेजान होकर गिर गईं। इसके बाद अपराध छिपाने के लिए तीनों अपराधियों ने सिस्टर अभय के शव को कुएं में फैंक दिया। जब वह सुबह बहुत देर तक कान्वेंट में नहीं पहुंची तो उन्हें खोजना शुरू किया गया। उनकी चप्पल का एक पैर किचन तो दूसरी कुएं के पास पड़ा था, जिसके बाद कुएं की जांच कर उनके शव को बाहर निकाला गया। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी उन्हें घसीटते हिए कुएं तक ले गए होंगे।
CBI को यूं मिला हत्या का संकेत
पहले इसे खुदकुशी का मामला समझा जा रहा था लेरिन आखिर सच को भला कौन छिपा सकता है। इस केस के चशमदीद गवाह राजू ने CBI स्पेशल कोर्ट में कहा, 'उस वक्त मैं कॉन्वेंट बिल्डिंग की छत पर लगे लाइटिंग कंडक्टर से कॉपर कॉम्पोनेंट चुराने की कोशिश कर रहा था, तभी मैंने 2 लोगों को टॉर्च लिए सीढ़ियों पर चढ़ते देखा। जिनमें एक लंबा आदमी और दूसरा फादर कोट्टूर थे। उन्हें देख मैंने चोरी का प्लान छोड़ दिया और वहां से चला गया' CBI की आखिरी रिपोर्ट के बाद कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची कि यह हत्या का मामला है।
बयान से मुकर गए कई गवाह
साल 26 अगस्त में जब इस केस की सुनवाई हुई तब कई गवाह मुकर गए थे लेकिन DSP वर्गीज पी थामस को शक हो गया था। इस केस की जांच कर रहे CBI के डीएसपी वर्गीज पी थामस ही सबसे पहले इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि हत्या का मामला है।
इंसाफ के इंतजार में गुजर गए माता-पिता
बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए अभया के माता-पिता की भी कुछ साल पहले ही मौत हो गई। वह अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में साल 2016 में ही दुनिया को अलविदा कह गए।