23 DECMONDAY2024 1:37:35 AM
Nari

Pitru Paksha: श्राद्ध के दिन ध्यान में रखें ये बातें, तभी मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

  • Edited By neetu,
  • Updated: 19 Sep, 2021 04:29 PM
Pitru Paksha: श्राद्ध के दिन ध्यान में रखें ये बातें, तभी मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से श्राद्ध आरंभ हो जाते हैं। इस साल ये 20 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इसे महायल व पितृपक्ष भी कहा जाता है। श्राद्ध के इन 16 दिनों में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा व ब्राह्माणों को भोजन खिलाया जाता है। मान्यता है कि श्राद्धकर्म करने से पितरों को मृत्यु च्रक से मुक्ति मिलकर मोक्ष प्राप्त होने में मदद मिलती है। मगर ज्योतिष शास्त्र अनुसार, श्राद्ध के दिन पर कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है। तभी इसका पूरा फल मिल पाता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में...

PunjabKesari

दोपहर के समय करें श्राद्ध

मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध दोपहर के समय करना चाहिए। वायु पुराण के अनुसार शाम के समय श्राद्धकर्म करने की मनाही होती है। क्योंकि शाम का समय राक्षसों का माना जाता है।

दूसरे की भूमि पर ना करें श्राद्ध

श्राद्धकर्म दूसरों की भूमि पर करने से बचना चाहिए। इसे फलदायी नहीं माना जाता है। इसलिए अपने पुर्वजों का श्राद्ध किसी रिश्तेदार या दोस्त के घर पर करने की जगह पर अपनी भूमि पर ही करें। हां, आप यह कार्य किसी मंदिर, नदी के पास कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार इन पवित्र स्थानों को किसी दूसरों की भूमि नहीं माना जाता है।

गाय के घी, दूध का करें इस्तेमाल

श्राद्धकर्म की पूजा में गाय का घी, दूध, दही का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है।

PunjabKesari

तुलसी व तिल का करें प्रयोग

 तुलसी व तिल को पवित्र माना जाता है। साथ ही कहा जाता है कि इसे चढ़ाने से पितृगण प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आप भी श्राद्ध की पूजा व भोजन में इनका इस्तेमाल जरूर करें।

ब्राह्मण को भोजन करवाएं

ब्राह्मण को भोजन करवाएं बिना श्राद्ध संपूर्ण नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि ब्राह्मण को भोजन खिलाएं बिना घर के पितर खाना नहीं खाते हैं। ऐसे में आप अपने पितरों की श्राद्ध तिथि के एक दिन पहले ही ब्राह्मण को खाने के लिये निमंत्रण दे आए। फिर अगले दिन खीर, पूरी, सब्जी आदि पितरों की मनपसंद चीजें बनाकर ब्राह्मण को भोजन करवाएं।

चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान करें

श्राद्धकर्म में चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान करना बेहद शुभ व पुण्यदायी माना जाता है। ऐसे में अगर संभव हो पाए तो आप भी श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन चांदी के बर्तनों में करवाएं। साथ ही अपने सामर्थ्य अनुसार दान करें।

PunjabKesari

ब्राह्मण या ब्राह्मण की पत्नी को निमंत्रण दे

अगर घर में स्वर्गवासी पूर्वज एक पुरुष हैं, तो पुरुष ब्राह्मण को भोजन के लिए बुलाएं। अगर महिला है तो आप ब्राह्मण की पत्नी को भोजन खिला सकते हैं। इसके अलावा एक पूर्वज कोई सौभाग्यवती महिला थी तो उसके श्राद्धकर्म के लिए सौभाग्यवती ब्राह्मण की पत्नी को ही भोजन के लिए बुलाए।

दोनों हाथों से खाना परोसें

ब्राह्मण को दोनों हाथों से भोजन परोसें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि श्राद्ध का खाना एक ब्राह्मण को ही दिया जाता है। वैसे आप अपनी इच्छा के अनुसार, किसी गरीब, जरूरतमंदर को भी भोजन खिला सकते हैं। मगर श्राद्ध में पितरों की तृप्ति केवल ब्राह्मणों को भोजन खिलाकर ही होती है।

ब्राह्मण को आसन पर बिठाएं

भोजन खिलाने से पहले ब्राह्मण को साफ आसन पर बिठाएं। इसके लिए आप कपड़े, ऊन, कुश या कंबल आदि का आसन बना सकते हैं। मगर इसमें लोहे इस्तेमाल करने से बचें।

दक्षिणा और कपड़े दें

श्राद्ध पूरा होने के बाद ब्राह्मण को अपनी इच्छा मुताबिक दक्षिणा, कपड़े आदि दें।

PunjabKesari

देवता व जीव-जंतुओं के लिए भी निकाले भोजन

श्राद्ध के दिन बनाए गए भोजन में से गाय, देवता, कौओं, कुत्तों और चींटियों के लिए भी भोजन निकाले। आप चींटियों और देवता का भोजन गाय को खिला सकते हैं। मगर कुत्ता, कौओं का भोजन उन्हें ही खिलाएं।

श्राद्धकर्म संपन्न होने के बाद खुद खाएं

 ब्राह्मण, गाय आदि को भोजन कराने के बाद ही घर के बाकी सदस्यों व रिश्तेदारों को भोजन करना चाहिए।

 बहन, जमाई और भांजे को भोजन करवाना शुभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बहन, जमाई और भांजे को श्राद्ध का भोजन खिलाना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर के पितरों के साथ देवता भी भोजन ग्रहण करते हैं।

जरूरतमंद व भिखारी को खिलाएं भोजन

श्राद्ध के दिन घर पर कोई भिखारी या जरूरतमंद आ जाए तो उसे बिना भोजन करवाएं ना जाने दें। इसके लिए उसे आदरपूर्वक घर में बिठाकर भोजन करवाएं। इससे पितरों व देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

PunjabKesari

श्राद्ध के भोजन में इन चीजों को करें शामिल

 श्राद्ध का भोजन बनाने में जौ, मटर, कांगनी और तिल का इस्तेमाल जरूर करें। इसके साथ ही इसमें तिल अधिक होना चाहिए। कहा जाता है कि तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं। इसके साथ इसमें कुशा का भी खास महत्व है। इनसब के साथ श्राद्ध के दिनों में चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बांसी अन्न खाने की मनाही होती है।

 

 

Related News