नारी डेस्क : शरद पूर्णिमा, जिसे 'कोजागरी पूर्णिमा' भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में आता है। शरद पूर्णिमा का यह दिन विशेष रूप से चंद्रमा की रोशनी के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो सभी पूर्णिमा का विशेष महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है। इस शुभ तिथि पर जगतपिता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस रात्रि विशेष रूप से खीर बनाने की परंपरा है, जिसे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है पर क्या आप जानते है कि इसके पीछे का विशेष महत्व क्या है।
क्या है विशेष महत्व?
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं। इसके साथ ही एक और मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महारास किया था और इससे प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है। मां लक्ष्मी को भी मखाने और दूध से बनी खीर बेहद पसंद है। यह भी एक वजह है कि शरद पूर्णिमा यानी मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव पर उनको खीर का भोग लगाकर, प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
शरद पूर्णिमा की खीर कब रखनी चाहिए?
आमतौर पर, खीर शाम को बनाना अच्छा होता है। आप इसे सूर्यास्त के बाद बना सकते हैं, ताकि यह चंद्रमा की रोशनी में रखने के लिए तैयार हो सके। खीर को रात 7 बजे से 9 बजे के बीच चंद्रमा की रोशनी में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इस समय चंद्रमा की रोशनी सबसे तेज और शुभ होती है। शरद पूर्णिमा की रात, खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो विशेष रूप से माता लक्ष्मी के प्रति समर्पित होती है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, खीर इस प्रकार रखें कि उसमें चंद्रमा की रोशनी जरूर पड़ें।
शरद पूर्णिमा की खीर खाने के फायदे?
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की खीर खाने से शरीर के रोगों से मुक्ति मिल सकती है, खासतौर पर चर्म रोगियों को लिए तो यह वाक्य में अमृत समान है। इसके अलावा यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी फायदेमंद है। चांदनी रात में रखने से खीर औषधीय गुणों वाली हो जाती है, उस खीर को खाने से व्यक्ति को कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। साथ ही में मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी खीर पर बना होता है, जिससे सुख और वैभव की कृपया बनी रहती है।
'कोजागरी पूर्णिमा' क्यों कहा जाता है?
कोजागरी की अर्थ है "कौन जाग रहा है"। यह बिहार और पश्चिम बंगाल में मनाई जाती है। इस रात लोग मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं और जो व्यक्ति सारी रात जागता है उस पर मां की असीम कृपा होती है और उसके घर समृद्धि का वास होता है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था।