ईरान में महिला अधिकारों, लोकतंत्र और मृत्युदंड के खिलाफ वर्षों से संघर्ष कर रहीं नरगिस मोहम्मदी ने इस वर्ष शांति का नोबेल पुरस्कार जीता है। मोहम्मदी फिलहाल जेल में हैं और उन पर देश के खिलाफ प्रचार करने सहित कई आरोप हैं। उन्हें ‘‘ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ तथा मानवाधिकारों को बढ़ावा देने तथा सभी की स्वतंत्रता'' की दिशा में काम करने के लिए समिति ने नामित किया था। मोहम्मदी 19वीं महिला हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है जबकि यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह दूसरी ईरानी महिला हैं।
नॉर्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा- ‘‘ सबसे पहले यह पुरस्कार ईरान में पूरे आंदोलन के लिए बहुत अहम कार्य और उसकी निर्विवाद नेता नरगिस मोहम्मदी को मान्यता देने के लिए है।'' उन्होंने बताया कि मोहम्मदी 13 बार जेल गईं और उन्हें पांच बार दोषी करार दिया गया, उन्हें कुल 31 साल कारावास की सजा सुनाई गई है, यही नहीं उन्हें 154 कोड़े भी मारे गए हैं। मोहम्मदी से पहले 2003 में शिरिन इबादी को शांति के नोबेल पुस्कार से सम्मानित किया गया था।
मोहम्मदी हाल ही में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए जेल में थीं। अमीनी की देश की नैतिकता पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत ने 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में स्थापित धर्म आधारित शासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चुनौती पेश की। अमीनी की मौत के बाद देश भर में शुरू हुए आंदोलन में 500 से अधिक लोग सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए जबकि करीब 22 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, कारागार में रहने के बावजूद मोहम्मदी ने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में योगदान दिया। उन्होंने लिखा, ‘‘ सरकार जो संभवत: समझ नहीं पा रही है, वह यह है कि जितना हम लोगों पर बंदिश लगाई जाएगी उतने ही हम मजबूत होंगे।''
कारागार में डालने से पहले मोहम्मदी ईरान में प्रतिबंधित ‘डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर' की उपाध्यक्ष थीं। वह संस्था के संस्थापक इबादी की करीबी हैं। पेशे से इंजीनियर मोहम्मदी को 2018 में एंद्रेई साखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है। दिसंबर में पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 18 कैरेट का स्वर्ण पदक और डिप्लोमा भी प्रदान किया जाता है। प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुस्कार के विजेता का चुनाव नार्वे की विशेषज्ञ समिति ने 350 नामांकितों में से किया।
इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि महिलाओं के नेतृत्व में चलाए गए आंदोलन अकसर लोकतांत्रिक परिवर्तन लाने में प्रभावी रहे हैं। ईरानी कारागारों में उत्पीड़न ऐसा मुद्दा है, जिसके खिलाफ मोहम्मदी ने कारागार में रहने या बाहर रहने के दौरान अभियान चलाया है। ईरानी जेलों में उत्पीड़न की बड़े पैमाने पर जानकारी संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों को दी गई है। पेशे से इंजीनियर मोहम्मदी को 2018 में आंद्रेई साखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।