अक्सर पति-पत्नी को एक-साथ एक ही थाली में खाना खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि एक साथ भोजन करने से पति-पत्नी में प्यार बढ़ता है। मगर, जब युधिष्ठिर सहित पांच पांडव शरशैया पर लेटे भीष्म पितामह के पास ज्ञान प्राप्ति के लिए पहुंचे थे तब उन्होंने कुछ बातें कही थी। इस दौरान भीष्म पितामह ने बताया था कि भोजन कब, कैसे और किसके साथ करना शुभ होता है।
पति-पत्नी को एक साथ नहीं करना चाहिए भोजन
पांच पांडवो को ज्ञान देते हुए भीष्म पितामह ने उन्हें समझाया था कि कभी भी पति-पत्नी को एक थाली में भोजन नहीं करनी चाहिए। इससे परिवार में कलह रहता है। ऐसा व्यक्ति दीन दुनिया से बेखबर होकर सिर्फ पत्नी को अहमियत देता है और परिवार के अन्य रिश्तों से सर्वोपरि हो जाता है।
लांघा हुआ भोजन ना करें
भोजन का ज्ञान देते हुए भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा था कि अगर कोई व्यक्ति गलती से भी भोजन को लांघ जाए तो उसका त्याग कर देना चाहिए क्योंकि ऐसा भोजन दूषित हो जाता है। ऐसे भोजन को कीचड़ के समान माना जाता है इसलिए इसे जानवरों को खिला देना चाहिए।
परिवार सहित करें भोजन
पितामह ने कहा था कि परिवार के सूभी सदस्यों को हमेशा एक साथ भोजन करना चाहिए। इससे परिवार की तरक्की होती है और सदस्यों में एकता भी बनी रहती है। यही वजह है कि पांच पांडव हमेशा एक साथ ही भोजन करते थे।
थाली को ठोकर लगना
उनके मुताबिक, अगर परोसी हुई थाली को ठोक लग जाए तो उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए। इससे घर में दरिद्रता आती है। ऐसे भोजन को पक्षियों को खिला देना चाहिए।
भोजन में बाल दिखना
अगर भोजन करते समय उसमें बाल भी दिख जाए तो खाना ग्रहण करने योग्य नहीं रहता। ऐसे में भोजन को खाने से घर में धन हानि होती है इसलिए उसे जानवरों को डाल देना चाहिए।