नई माओं को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। अमेरिका ने RSV यानी Respiratory Syncytial Virus से नवजात को बचाने के लिए पहली वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। ये वैक्सीन नवजात शिशुओं को RSV के कारण होने वाली तमाम बीमारियों से बचाने के लिए मददगार होगी। इस तरह के टीके को मंजूरी देने वाला अमेरिका दुनिया का पहला देश बन गया है।
टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बन अमेरिका
RSV एक सामान्य आरएनए रेस्पिरेटरी वायरस है, जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इन हालातों को देखते हुए अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने Abrysvo नाम की वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। फाइजर कंपनी का दावा है कि होने वाली माताओं का टीकाकरण उनके बच्चों के जीवन के पहले 90 दिनों में आरएसवी के गंभीर मामलों को रोकने में लगभग 82% प्रभावी है।
7,400 गर्भवती महिलाओं का किया गया परीक्षण
कंपनी ने कुछ दिन पहले बताया था कि उनके परीक्षण में लगभग 7,400 गर्भवती महिलाएं शामिल की गई थी, जिन्हें अपनी गर्भावस्था के दूसरे से तीसरे तिमाही के अंत के दौरान टीके की एक खुराक दी गई थी। जन्म के बाद कम से कम एक साल तक बच्चों की जांच की गई। दावा है कि जिन महिलाओं को वैक्सीन की डोज दी गई, उनके पैदा होने वाले बच्चों में 90 दिन बाद तक सांस से जुड़ी बीमारी का खतरा 81.8% तक कम था। वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स भी नहीं हैं ।
क्या है RSV
आरएसवी वायरस एक तरह का श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है, जो सबसे ज्यादा 5 साल तक के बच्चों में देखा जाता है।इस संक्रमण की वजह से बच्चों में निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म के बाद से ही बोतल से दूध पीते हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। वयस्कों, बुजुर्गों, स्वस्थ बच्चों में इसके लक्षण हल्के या सामान्य हो सकते हैं। शिशुओं में RSV की समस्या से राहत पाने के लिए उसकी देखभाल जरूरी है। नवजात शिशुओं खासतौर पर प्रीमैच्योर शिशु, बुजुर्ग, हार्ट और फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यह समस्या गंभीर हो सकती है।
आरएसवी वायरस इन्फेक्शन के लक्षण
-खांसी, बुखार और जुकाम
-गले में दर्द और खराश
-घबराहट और सांस लेने में परेशानी
-सिरदर्द
-स्किन के रंग में बदलाव
शिशुओं में RSV का क्या है कारण ?
रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह हवा में इंफेक्टेड रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स के माध्यम से आसानी से फैल सकता है। शिशु या वयस्क इसका शिकार तब भी बन सकते हैं, जब उनके आसपास इस वायरस का शिकार कोई व्यक्ति छींकता और खांसता है। बच्चों के खिलौनों, पलंग या अन्य चीजों पर यह वायरस कई घंटों तक जीवित रह सकता है। जब बच्चे इन दूषित चीजों को उठाते हैं और उसके बाद अपने मुंह, नाक और आंखों को छूते हैं, तो वह इस वायरस का शिकार हो सकते हैं।