कोरोना महामारी की वजह से लोगों ने लॉकडाउन के समय दूसरों की काफी मदद की वही फिल्म निर्माता निधि परमार हीरानंदानी ने लॉकडाउन के दौरान 42 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया। जी हां, निधि ने खुद एक वेबसाइड को दिए इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया। निधि ने इसी साल फरवरी में बेटे को जन्म दिया था। उन्होंने मार्च से लेकर मई तक ब्रेस्ट मिल्क दान किया। बता दें कि हाल में ही निधि ने ‘सांड की आंख’ फिल्म प्रोड्यूस की थी।
निधि ने इंटरव्यू में बताई इसकी वजह
इंटरव्यू में निधि ने कहा, ‘अपने बच्चे की परवरिश के बाद मुझे एहसास हुआ कि अभी भी मेरे शरीर में काफी दूध बनता है। मैंने इंटरनेट पर पढ़ा था कि अगर ब्रेस्ट मिल्क को सही से फ्रिज में स्टोर किया जाए, तो यह तीन से चार महीने तक खराब नहीं होता है.’
आगे निधि बताती हैं, ‘इंटरनेट से सुझाव मिला कि इससे फेस पैक्स तैयार हो सकते हैं। मेरे कुछ दोस्तों ने बताया कि वह इससे अपने बच्चों को नहलाते हैं या फिर इसका इस्तेमाल उनके पैर साफ करने के लिए करते हैं। तब मुझे लगा कि यह दूध की बर्बादी है और मैं इसे किसी सलोन्स को नहीं देना चाहती थी. मैंने ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन के बारे में पता किया।
अस्पताल ने किया पूरा सहयोग
इंटरव्यू के दौरान ही निधि ने बताया कि कैसे उन्होंने मुंबई स्थित सूर्या हॉस्पिटल को अपना दूध दान किया था। उन्होंने कहा, ‘मैंने महिला अस्पताल की अपनी गाइनाकॉलोजिस्ट से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि आप सूर्या अस्पताल में दूध डोनेट कर सकते हैं. तब तक मेरे फ्रिज में 150 मिलीलीटर के 20 पैकेट इकट्ठा हो चुके थे लेकिन लॉकडाउन के समय यह ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का विचार समस्या लग रही थी लेकिन अस्पताल काफी सहयोगी था। उन्होंने सुरक्षित तरीके से घर से दूध ले जाने की व्यवस्था की.’
निधि ने बताया कि उन्होंने पहली डोनेशन के बाद से घर पर अपना दूध इकट्ठा करना शुरू किया और हर 15 से 20 दिन में अस्पताल को दान कर देती थी। निधि की मदद से हॉस्पिटल फिर से अपना मिल्क बैंक शुरु कर पाए। यह दूध प्रीमेच्योर बच्चों को बचाने में बेहद उपयोगी होता है।
क्यों जरूरी हैं मां का दूध?
वही हर साल मां का दूध ना मिलने की वजह से कई नवजात शिशुओं की जान जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 100 में से 16 बच्चों की मौत इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें जन्म के बाद मां का पहला दूध नहीं मिल पाता है। ब्रेस्ट मिल्क दान करने से आप किसी नवजात बच्चे की जान बचा सकते है। अब तो देश के विभिन्न राज्यों में मदर मिल्क बैंक खोले गए हैं, जो बच्चों के लिए मां के दूध को स्टोर करते हैं। इसके बाद ज़रूरतमंद बच्चों तक यह दूध पहुंचाया जाता है।
ब्रेस्ट मिल्क नवजात शिशु के लिए बहुत जरूरी होता है। जन्म से लेकर 6 महीने तक शिशु को मां का दूध पिलाने से मृत्यृ दर काफी कम हो जाती है। मां के दूध को अमृत कहा जाता है। डाक्टरों के मुताबिक, जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां का दूध देना चाहिए। इससे बच्चे के शरीर का तापमान ठीक रहता है। बच्चे को जरूरी पोषण मिलता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। निधि परमार की तरह आप भी इस पहल का हिस्सा बनें।