मोहनदास करमचंद गांधी एक शांतिदूत, एक कार्यकर्ता, एक आध्यात्मिक नेता और एक नायक थे। अहिंसा व सत्य की राह पर चलने वाले गांधी जी बहुत ही सादा जीवन जीते थे। यहां तक कि उनका खान-पान भी बहुत ही सादा था, जिसके कारण आजादी की लड़ाई में वो ना ही तो कमजोर पड़े और ना ही बीमार। बता अगर डाइट के करें तो गांधी जी उपवास में काफी यकीन रखते थे।
स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में किए कई उपवास
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कुल 17 उपवास किए और उनका सबसे लंबा उपवास 21 दिनों का था, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी पुस्तक "फूड इज लाइफ" में किया है। महात्मा गांधी ने यह भी लिखा, "हालांकि यह सच है कि मनुष्य हवा और पानी के बिना नहीं रह सकता लेकिन शरीर को पोषण देने वाली चीज भोजन है इसलिए कहावत है, भोजन ही जीवन है।"
तीनों हिस्सों में बांटा था भोजन
उन्होंने भोजन को तीन टोकरियों में बांटा था- एक शाकाहारी टोकरी, एक मांस खाने की टोकरी और एक मिश्रित आहार टोकरी, जिसमें शाकाहारी और मांस भोजन का संयोजन था। चूंकि वह शाकाहारी था इसलिए उनकी डाइट में पहली टोकरी के आहार शामिल होते थे।
महात्मा गांधी के लिए एक विशिष्ट भोजन
महात्मा गांधी ने अपनी किताब के एक अध्याय में लिखा, 'मैं आमतौर 8 तोला अंकुरित गेहूं, 8 तोला मीठे बादाम, 8 तोला हरी पत्तियां, 6 खट्टे नींबू, और 2 औंस शहद लेता हूं। भोजन को दो भागों में बांटा गया है, पहला भोजन सुबह 11 बजे दूसरा शाम 6.15 बजे लिया जाता है। मैं सुबह और एक बार फिर दिन में गर्म पानी में नींबू और शहद लेता हूं।"
कच्चा और असंसाधित भोजन
उन्होंने ज्यादातर पका हुआ और प्रसंस्कृत भोजन से परहेज किया। गांंधी जी को खाने में सभी हरी- सब्जियों पसंद थी लेकिन लौकी, बैंगन व कद्दू उनकी पसंदीदा सब्जियां थी।
नियमित शारीरिक गतिविधि
गांधी जी पैदल चलना सबसे अच्छा व्यायाम मानते थे और खूब चलते थे। यही नहीं, उन्होंने कई आंदोलन पैदल यात्रा के बल पर किए थे। वह 25 सालों में करीब 79,000 कि.मी. पैदल चले थे। नमक सत्याग्रह के दौरान वह 24 दिनों तक औसतन 16-19 कि.मी. पैदल यात्रा किया करते थे।
जिंदगीभर रहें इन 4 चीजों से दूर
नमक नहीं
अक्सर नमक का सेवन कम करने के लिए कहा जाता है लेकिन महात्मा गांधी ने साल 1911 में नमक मुक्त आहार लेना शुरू कर दिया था। वे भोजन में अतिरिक्त नमक जोड़ने के कट्टर विरोधी थे। 1920 के दशक के अंत तक उन्होंने डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, फिर से नमक का सेवन शुरू किया लेकिन कम मात्रा में।
नहीं लेते थे डेयरी फूड्स
गांधी जी ने अपनी पुस्तक द मोरल बेसिस ऑफ वेजिटेरियनिज्म में कहा, "मैंने छह साल तक दूध को अपने आहार से बाहर कर दिया। साल 1917 में मुझे गंभीर पेचिश हो गई थी, मैं कंकाल बनकर रह गया लेकिन मैंने दूध या छाछ लेने से मना कर दिया। मेरे मन में केवल यही आता था, गाय और भैंस का दूध।"
नो शुगर, प्लीज!
चीनी से हमारा मतलब रिफाइंड चीनी से है। खबरों के अनुसार, गांधी जी को फल पसंद थे और आम उनका पसंदीदा था लेकिन वह रिफाइंड चीनी से दूर रहे।
जिंदगीभर रहे इन चीजों से दूर
गांधी जी ने अपने पूरे जीवन में कभी भी शराब व तंबाकू को हाथ नहीं लगाया। यही नहीं, वह दूसरे लोगों को भी इनसे दूर रहने के लिए प्रेरित करते थे।