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पितरों को नाराज कर सकती है श्राद्ध के दिनों में की गई ये गलतियां

  • Edited By neetu,
  • Updated: 29 Aug, 2020 03:22 PM
पितरों को नाराज कर सकती है श्राद्ध के दिनों में की गई ये गलतियां

पितृ पक्ष यानी अपने पुर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया गया भोज का आयोजन। ये दिन पूरे 15 दिनों तक चलते हैं। इस साल पितृ पक्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 1 और 2 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इन्हीं दिनों में अगस्त्य मुनि का तर्पण करने का शास्त्रीय विधान माना जाता है। यह दिन 1 सितंबर 2020 से शुरू होकर 17 सिंतबर तक रहेंगे। इन दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पंडितों को भोजन व दान देकर पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। 

 

वैसे तो अंत्येष्टि संस्कार को व्यक्ति के जीवन चक्र का काल के अंतिम संस्कार के रूप में माना जाता है। मगर अंत्येष्टि के बाद भी कुछ ऐसे काम होते हैं जिसे मृतक का पुत्र या सगे संबधी निभाते हैं। इसी के बाद मृतक का श्राद्ध किया जाता है। ये संस्कार संतान खासतौर पर बेटे का मुख्य कर्त्तव्य होता है। मान्यता है कि इसे विधिपूर्वक करने से पितरों को खुशी मिलती है। साथ ही उन्हें मुक्ति मिल जाती है। 

कब किया जाता है श्राद्ध कर्म

श्राद्ध कर्म हर महीने की अमावस्या को कर सकते हैं। मगर भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन महीने की अमावस्या तक पितरों का श्राद्ध किया जाता है। माना जाता है कि इसे पूरी निधि पुर्वक करना चाहिए। इसी पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाान जाता है। ये पूरे 15 दिनों तक किया जाता है। इन्हीं 15 दिनों में अलग-अलग दिन को लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उन्हें जल तर्पण करते हैं। साथ ही उनकी मृत्यु की तिथि के मुताबिक श्राद्ध का कार्य करते हैं।

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किसे कहते हैं पितृ श्राद्ध?

जब किसी के माता- पिता या अन्य किसी संबंधी की मृत्यु हो जाती है जो उसकी आत्मा की शांति व तृप्ति के लिए श्रद्धा किया जाता है। हिंदू धर्म में उसे ही पित- पक्ष कहते हैं। पितृ पक्ष पूरे 15 दिनों तक चलता है। ऐसे में कहा जाता है कि जो लोग इस दुनिया में नहीं है वे इन दिनों में धरती पर आकर रहते हैं। ऐसे में उन्हें खुश करने के लिए उनके परिवार वालों की तरफ से भोजन व जला का आयोजन कियी जाता है। वे इसतरह अपने पितरों को खुश कर उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं। मगर बहुत बार लोग गलती से कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो इस दौरान करने से बचा चाहिए। नहीं तो पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। तो चलिए जानते हैं ऐसे कौन से काम से जिन्हें इस दौरान न करने की ओर खास ध्यान देना चाहिए। 

कुछ नया खरीदा 

इन दिनों में कुछ भी नया सामान खरीदने से बचना चाहिए। कहा जाता है कि ये समय पितरों को याद करने और उनके इस दुनिया में न होने का शोक मनाने वाला होता है। ऐसे में कोई नए चीज खरीदना पितरों को नाराज करने के बराबर माना जाता है। 

भिखारी को भिक्षा न देना

श्राद्ध के दिनों में भिखारियों को दान जरूर देना चाहिए। साथ ही किसी के दान या भीख मांगने पर उसे इंकार नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इन दिनों दिया गया दान पूर्वजों को खुश करने का काम करता है।

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बाल कटवाना

जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं उन लोगों को इन दिनों में बाल कटवाने से परहेज रखना चाहिए। नहीं तो इनके द्वारा किया गया श्राद्ध सफल नहीं माना जाता है। 

लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करना

इन दिनों में पीतल, फूल या तांबे के बर्तनों में ही पितरों को जल अर्पित करने की प्रथा है। ऐसे में उन्हें खुश करने के लिए हमेशा इन्हीं बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करने से पुर्वजों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

किसी के घर में भोजन करना

माना जाता है कि इन दिनों में जो लोग अपने पितरों को मनाने के लिए उनको लिए भोजन  का आयोजन करते हैं। उन्हें इन दिनों  किसी के घर का भोजन नहीं करना चाहिए। 

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