भारत में थायराइड की समस्या बढ़ती ही जा रही है, जिसकी चपेट में ज्यादातर महिलाएं है। थायराइड गले में मौजूद तितली आकार का एंडोक्राइन ग्लैंड यानी ग्रंथि होती है, जो हार्मोन्स बनाती है। मगर, जब ये ग्रंथि हार्मोन का निर्माण ठीक तरह से नहीं पाती तो आप इस बीमारी के घेरे में आ जाते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, खासकर हिडेन थायराइज की।
क्या आपको भी है हिडेन थायराइड?
थायराइड ग्रंथि ऐसे हार्मो्स बनाती है, जो दिल की हार्ट रेट, कोलेस्ट्रॉल लेवल, पीरियड्स, फर्टिलिटी, मोटापा, एनर्जी, मांसपेशियों के संकुचन, त्वचा व बालों के टेक्सचर, याददाशत और मूड पर असर डालते हैं। जब कोई थायराइड के लक्षणों को नहीं पहचान पाता तो उसे हिडेन थायराइड (Hidden thyroid) कहा जाता है, जो खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि ऐसे में आप बीमारी का इलाज सही समय पर नहीं करवा पाते, जिससे समस्या बढ़ सकती है।
थायराइड दो तरह के होते हैं- हाइपरथायरॉइडिज्म जिसे ओवरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है। दूसरा हाइपोथायरॉइडिज्म जिसे अंडरएक्टिव थायरॉइड कहते हैं।
हाइपरथायरॉइडिज्म
-हाइपरथायरॉइडिज्म तब होता है जब ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन अधिक बनाने लगती है, जिससे वजन घटने लगता है। साथ ही इसके कारण हड्डियां कमजोर, आंखों में समस्या, थायरोटॉक्सिक क्राइसिस यानी थायराइड के लक्षण अचानक तेज होना जैसे समस्याएं हो सकती है।
-इसमें बाउल मूवमेंट में बदलाव, बढ़ी हुई थायराइड ग्रंथि. आंखों में जलन या खुजली, झड़ते बाल, चिड़चिड़ापन, कमजोर मांसपेशियां, अनिद्रा, अधिक पसीना आना जैसे लक्षण दिखते हैं।
हाइपोथायरॉइडिज्म
-हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण थायराइड ग्रंथि शरीर की कार्यप्रणाली को चलाने के लिए पर्याप्त हार्मोन्स नहीं बना पाती है। इसके कारण हार्ट डिसीज, जोड़ों की समस्या, इनफर्टिलिटी और वजन बढ़ना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं में इसका जोखिम अधिक रहता है, खासकर प्रेगनेंसी में।
इसमें कब्ज, डिप्रेशन, स्किन ड्राईनेस, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल, अधिक थकान, चीजें भूलना, अनीमियत पीरियड्स, गला बैठना, कमजोर याददाशत, एनीमिया, कमजोर मांसपेशियां, चेहरे पर सूजन, हार्ट रेट कम होना, जोड़ों में अकड़न, पतले बाल, वजन बढ़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
थायराइड के कारण
. भोजन में आयोडीन की कमी
. ऑटोइम्यून डिसीज
. किसी वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाली सूजन
. प्रेगनेंसी के दौरान भी कुछ महिलाओं में थायराइड ग्लैंड बढ़ जाता है।
. गैर-कैंसरयुक्त गांठ
. कैंसर के ट्यूमर
थायरॉइड का उपचार (Thyroid treatment)
वैसे तो थायराइड के इलाज के लिए कई दवाएं मौजूद है लेकिन आप नेचुरल टिप्स से भी इसे कंट्रोल कर सकते हैं।
1. इसके लिए डाइट में विटामिन बी फूड्स जैसे अंडा, मीट, मछली, फलियां, दूध और अखरोट खाएं। विटामिन डी के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स, तिल, संतरे का रस और अंडे की जर्दी या डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट ले सकते हैं।
2. भोजन पकाने के लिए नारियल तेल का यूज करें। इसमें फैटी एसिड होता हैं जो थायरायड ग्रंथि को कंट्रोल करता है। साथ ही शहद और पानी के साथ एप्पल साइडर विनेगर लें।
3. बादाम में प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स, सेलेनियम और मैग्नीशियम जो थायराइड को हार्मोन्स बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
4. डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, दही आदि खाएं और आयोडीन से युक्त आहार जैसे मछली भी खाएं।
5. अलसी के बीज में फैटी एसिड और विटामिन बी-12 होता है, जो हाइपोथायरायडिज्म से लड़ने में मददगार है।
6. थायराइड कंट्रोल करने के लिए अश्वगंधा या इससे बने सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
हिडेन थायराइड का पता लगाने के लिए अपनी सेहत पर नजर रखें और किसी भी तरह का लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।