गणेश उत्सव का पावन पर्व अब समाप्त हो चुका है। आज यानि 20 सितंबर से पितृपक्ष की तिथियां आरंभ हो गई है। हर साल आश्विन मास महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष यानि श्राद्ध किए जाते हैं। पूरे 15 दिवसीय इन तिथियों में पूर्वजों के लिए पिंडदान कर्म, तर्पण और दान आदि किया जाता है। मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। जीवन की समस्याएं दूर होकर घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। साथ ही इस दौरान कुछ उपाय करने से कुंडली में पितृदोष से मुक्ति मिलती है। चलिए जानते हैं इन उपायों के बारे में...
श्राद्ध पक्ष में पंचबली भोग लगाएं
श्राद्ध के दिन लोग घरों में भोजन बनाकर पितरों के नाम से ब्राह्माणों को खाना खिलाता हैं। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही घर-परिवार पर पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है। मगर इस दौरान पंचबली भोग भी जरूर लगाना चाहिए। पंचबली भोग का अर्थ गाय, कौआ, कुत्ता, देव और चींटी को भोजन करवाने से होता है।
घर की इस दिशा में लगाएं पूर्वजों की तस्वीर
वास्तु अनुसार, पितरों की तस्वीर हमेशा घर की दक्षिण दिशा लगानी चाहिए। इसके साथ ही किसी शुभ पर जाने व घर लौटने के बाद हमेशा पूर्वजों का आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे कार्य जल्दी संपन्न होते हैं। इसके अलावा घर के मंदिर में पूर्वजों की तस्वीर रखना अशुभ माना जाता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में इनकी तस्वीर को पूजा स्थल पर लगाने से बचें।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करें ये काम
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करें श्राद्ध को दौरान ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन करवाएं। साथ ही अपने सामर्थ्य अनुसार उन्हें कपड़े, दक्षिणा व अन्य जरूरत का सामान दान करें। इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि सारा भोजन व चीजों आपके पूर्वजों की पसंद की हो। साथ ही खाना आपने खुद अपने हाथों से बनाया हो। मान्यता है कि इससे पितर जल्दी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इससे घर में सुख-समद्धि का संचार होता है।
जीव-जंतुओं को खिलाएं रोटी
श्राद्ध के दिन कुत्ता, गाय, कौवा, चिड़ियां, चींटियों को रोटी खिलाना शुभ होता है। मान्यता है कि इससे पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही आशीर्वाद देते हैं।