देश में अब कोरोना की दूसरी लहर थमती हुई नजर आ रही हैं। वहीं इसी बीच कोरोना वायरस से देश को मुक्त करने के लिए सरकार वेक्सीनेशन अभियान चला रही हैं। लेकिन चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है।
वहीं डॉक्टर, ऐसी परेशानियों को 'लॉन्ग कोविड' का नाम दे रहे हैं। इसका मतलब यह है कि वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं।
वहीं कोरोना बीमारी में लंबे समय तक स्टेरॉयड के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में एक ने बड़ी अहम जानकारी शेयर की हैं।
दरअसल, गुड़गांव के सीके बिड़ला अस्पताल में आर्थोपेडिक्स विभाग के एक डॉक्टर का कहना है कि कोविड -19 रोगियों में मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है। ये ऐसे मरीजों में होता है जिन्हें स्टेरॉयड दी गई हो। साथ ही जिन्हें लंबे वक्त तक बेड रेस्ट की सलाह दी गई हो।
कई हफ्तों तक बेड रेस्ट के चलते शरीर की प्रणालियां प्रभावित होती हैं -
एक न्यूज चैनल से बातचीत में डॉक्टर ने कहा कि, लंबे समय तक बीमारियों और कई हफ्तों तक बेड रेस्ट के चलते शरीर की सभी प्रणालियां प्रभावित होती हैं। इनमें से एक है मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम है। थकान, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों का दर्द जैसे लक्षण कोविड -19 के बाद आम है और इसका प्रसार अब लगातार बढ़ रहा है।
हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होती हैं-
डॉक्टर ने कहा कि जिन मरिजों को कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है या जिन्हें घर पर बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी गई है, उनके लिए खड़ा होना, चलना या एक्टिव होना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। डॉक्टर ने कहा कि, ऐसे हालात में मांसपेशियों की ताकत हासिल करने में कम से कम छह सप्ताह या उससे अधिक समय लगता है।
कोविड के इलाज में स्टेरॉयड हो सकता है खतरनाक-
कोविड के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से भी परेशानी हो सकती है। डॉक्टर ने कहा कि, वैसे स्टेरॉयड के 10-15 दिनों का एक छोटा कोर्स किसी भी समस्या का कारण नहीं बनता है, लेकिन कई मरीज़ लंबे समय तक स्टेरॉयड थेरेपी पर रहते हैं। ऐसे मरीजों में ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया में वृद्धि का खतरा हो सकता है।
इन परेशानियों से बचने के लिए डाॅक्टर ने बताए ये घरेलु उपाय-
वहीं डॉक्टर ने ऐसी परेशानियों से बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय भी बताए है। डॉक्टर के मुताबिक, हल्दी वाला दूध, देसी घी, उच्च प्रोटीन आहार और लहसुन जोड़ों को चिकनाई और मजबूती प्रदान करने में मदद करते हैं। ग्लूकोसामाइन, करक्यूमिन जैसी कुछ दवाएं भी मदद करती हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।