आपने आज तक हंसने-मुसकुराने के फायदे के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि रोने के भी कितने फायदे हैं। कई लोग रोने को कमजोरी की निशानी मानते हैं, लेकिन असल में यह बस एक तरीका है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का। हम बात कर रहे हैं कभी-कभी रोने के उन फायदों के बारे में जो आपको तुरंत अनुभव होते हैं। यदि आपने कभी गौर नहीं किया हो तो इस बार जब भी रोना आए तो इन बातों पर ध्यान अवश्य देना।
मानसिक थकान दूर होती है
जब आप बहुत अधिक थके हुए होते हैं और खासतौर पर मानसिक थकान और तनाव से त्रस्त हो चुके होते हैं, ऐसी स्थिति में किसी अपने की कोई छोटी-सी बात भी बहुत ठेस पहुंचा देती है और हमें रोना आ जाता है। लेकिन आप गौर करें तो पाएंगे कि रो लेने के आधा एक घंटे बाद मन बहुत शांत होता है और सोना चाहते हैं। जब सोकर उठते हैं तो आप पाते हैं कि आपकी सारी मानसिक थकान दूर हो चुकी है।
लाइट फील करते हैं
पुरुषों का रोना बहुत लज्जाजनक बात मानी जाती है। हमारे समाज में इस तरह की स्थिति बना दी गई है कि जो पुरुष रो लेता है, उसे कायर मान लिया जाता है। हालांकि रोने से भावनात्मक बोझ हल्का होता है। सीने में जमा भारीपन और सिर पर लदा बोझ हट जाता है और बहुत लाइट फील होता है।
नई ऊर्जा फील करते हैं
कुछ देर रो लेने के बाद और रोने के बाद अगर सोने का अवसर मिल जाए तो और भी अच्छा। यानी रोने और सोने के बाद जब आप जागते हैं और फिर से अपनी ऐक्टिव लाइफ में लौटते हैं तो आप खुद में एक नई तरह की ऊर्जा का संचार अनुभव करते हैं। इससे आपके काम करने की स्पीड बढ़ती है, प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
विचारों में स्पष्टता आती है
रो लेने से मन हल्का हो जाता है, सिर का बोझ कम लगने लगता है और ताजगी भरी नई ऊर्जा का संचार होने लगता तो आपके विचारों में अधिक स्पष्टता आ जाती है। इससे आपकी निर्णय लेने की क्षमता बेहतर बनती है और स्थितियों को जल्दी भाप लेने का दृष्टिकोण विकसित होता है।
आंखों की सफाई होती है
अब तक रोने के जितने भी फायदे सामने आए, ये मानसिक सेहत से जुड़े हैं और करियर से जुड़े हैं लेकिन रोने से आपकी आंखों की जो सफाई होती है, वो आपकी शारीरिक सेहत से जुड़ा मामला है। जी हां, कभी-कभी रोना आंखों के लिए अच्छा होता है। इससे आंखों की मसल्स का तनाव भी कम होता है, आंखों की सफाई होती है और आंखों के पीछे मौजूद कोशिकाओं, उत्तकों में मजबूती भी आती है।