आजकल बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी घंटों फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर कुछ न कुछ करते रहते हैं। कभी फोन पर गेम तो कभी मूवी और तो और ऑनलाइन शॉपिंग ने स्क्रीन टाइम काफी बढ़ा दिया है। ऐसे में बहुत सारे लोग गर्दन और कंधे में दर्द की शिकायत करने लगे हैं। ज्यादातर इस तरह के दर्द को सर्वाइकल पेन (Cervical Pain) कहते हैं। कोविड के दौरान ये समस्या और ज्यादा बढ़ गई है । अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो आगे चलकर ये समस्या और ज्यादा गंभीर बन सकती है। हालांकि लाइफस्टाइल और पोस्चर में सुधार लेने से सर्वाइकल के दर्द से राहत मिल सकती है।
आखिर सर्वाइकल पेन होता क्या है?
एक्सपर्ट्स के अनुसार सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस या सर्वाइकल पेन आमतौर पर गर्दन या कंधों में जकड़न और बेचैनी को कहते हैं। स्पॉन्डिलाइटिस कई सालों तक लगातार वियर एंड टियर होने की वजह से होते है। ये बदलाव घुटनों के जोड़ों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के दौरान दिखाई देने वाले परिवर्तनों से मिलते-जुलते हैं।
किसी भी उम्र में हो सकता है सर्वाइकल पेन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सर्वाइकल की दिक्कत नौजवानों को, मध्यम आयु वर्ग के लोगों को, यहां तक की बच्चों को भी हो सकती है। खासकर आईटी प्रोफेशनल्स (IT Professionals) में सबसे ज्यादा ये समस्या पाई जाती है। जो लोग बहुत ज्यादा देर तक एक ही जगह पर बैठकर काम करते हैं और उनका लैपटॉप उनकी आंखों के लेवल से बहुत नीचे होता है, तो आगे झुक कर काम करने की वजह से यह दर्द हो सकता है। इसके अलावा बहुत से लोग ज्यादातर अपने समय मोबाइल पर बिताते हैं या फिर लेट के टीवी देखते हैं या फिर गर्दन टेढ़ी कर काम करते हैं, उनमें सर्वाइकल की दिक्कत देखी जा सकती है। वहीं जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है सर्वाइकल के दर्द की समस्या बढ़ जाती है।
सर्वाइकल पेन का कारण
सबसे सामान्य कारण मांसपेशियों पर दबाव और तनाव होता है.....
1. कई बार छोटी-मोटी चोट जैसे कि कार में झटका लगने, अचानक गर्दन को घुमाने की वजह से भी मांसपेशियों पर सामान्य से ज्यादा खिंचाव बढ़ने से ऐसा होता है।
2. गलत बॉडी पोस्चर, उदाहरण के लिए ठुड्डी को आगे की ओर धकेलने से ।
3. झुके कंधे।
4. देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहना।
5. कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने से।
6. भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तनाव, उदाहरण के लिए तनाव के चलते गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को लगातार सिकोड़ना।
7. भारी वजन के हेलमेट डालकर बाइक राइडिंग करना।
8. कोई फिजिकल एक्टिविटी न करना।
वहीं एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि अगर कोई मोटे तकिये या बिना तकिए के सोता है, तो गर्दन एक्यूट एंगल में मुड़ती है, जिसकी वजह से गर्दन में मोच आ सकती है। इसके अलावा सर्वाइकल पेन गठिया और डायबिटीज के पेशेंट्स में होना बहुत आम बात है। फिर उम्र की वजह से जैसे हाथ पैर के जोड़ घिसते हैं, वैसे ही गर्दन के जोड़ घिसते हैं जिसका मेडिकल टर्म में सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस (Cervical Spondylitis) बोलते हैं।
सर्वाइकल पेन के लक्षण
1. गर्दन के एक या दोनों तरफ दर्द होना।
2. खोपड़ी की जड़ में और कंधों से होते हुए आगे दर्द का बढ़ना।
3. कंधों को हिलाने डुलाने में दर्द।
4. कंधों में जकड़न, जिसके कारण गर्दन की मूवमेंट कम हो जाना।
5. बाजुओं में दर्द।
6. बाजुओं में कमजोरी।
7. बाजुओं में झुनझुनी और सुई चुभने जैसे सेंसेशन महसूस होना।
8. लिखने और टाइप करने में दिक्कत।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई बार मरीजों को मांसपेशियों में कोमलता और संवेदनशीलता महसूस हो सकती है या कुछ चटकने या झनझनाहट की आवाज सुनाई देती है। कई बार बहुत गंभीर हालात होने पर यह दर्द बांहों के दोनों तरफ फैल सकता है। अक्सर गर्दन के दर्द के ज्यादातर मामले कुछ दिनों या हफ्तों में सैल्फ-हैल्प ट्रीटमेंट्स से ठीक हो जाते हैं।
सर्वाइकल का कैसे करें इलाज
सर्वाइकल पेन के इलाज के लिए एक्स-रे या फिर एमआरआई कराया जाता है। इसके बाद अगर कोई नस दब रही हो तो उसके लिया दवा, फिजीओथेपरी और पोस्चर करेक्शन की एक्सरसाइज करवाई जाती है और कई बार नैक कालर भी पहनना पड़ सकता है। अगर नसों में कम्प्रेशन ज्यादा है, तो उसके लिए सर्जिकल प्रक्रिया की जाती है। इसके अलावा आप घर पर इन टिप्स के से भी सर्वाइकल पेन से राहत पा सकते हैं....
1. आइस या कोल्ड पैक
आइस या कोल्ड पैक लगाने से दर्द में शॉर्ट-टर्म राहत मिल सकती है। इसे प्रभावित भाग में हर दिन तीन-तीन घंटे में अंतराल में और दिन में चार बार 15 मिनट तक लगाएं। ध्यान रखें कि पैक कभी भी त्वचा के सीधे संपर्क में नहीं आए।
2. रिलैक्सेशन
तनाव बढ़ने से गर्दन और पीठ में दर्द हो सकता है। रिलैक्सेशन, मेडिटेशन या माइंडफुलनैस तकनीकों से अपने शरीर का तनाव कम करने और शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थय को स्वस्थ रखने के तरीके सीखें।
3. आराम करें
ऐसी गतिविधियों को कम करें जिनकी वजह से आपके लक्षण गंभीर हो रहे हैं, उदाहरण के लिए डेस्क पर लगातार न बैठें और न कोई भारी वस्तु उठाएं।
4. पेनकिलर्स
पेनकिलर्स से भी आपको कुछ समय की रिलीफ मिलती है।
5. व्यायाम
व्यायाम से आपके शरीर को कसावट और दर्द से रहत मिलती है, मांसपेशियों को मजबूत बनाने और स्टेमिना और फ्लेक्सिबिलिटी के साथ-साथ जनरल फिटनेस में भी सुधार होता है।
6. फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपी लेने से आप अपने दर्द को कम करना और साथ ही मांसपेशियों की मजबूती बनाए रख सकते हैं।
यदि आपकी गर्दन में दर्द लंबे समय तक रहता है तो ऐसे में मूवमेंट नहीं होने से आपकी मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती है। इसलिए जरुरी है कि ज्यादा देर तक आराम नहीं करें और गर्दन को घुमाते रहें।
नोट- अगर इसके बाद भी दर्द कम ना हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।