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सत्तू का है बैसाखी से गहरा कनेक्शन, जानिए आखिर क्यों इस दिन किया जाता है इसका सेवन?

  • Edited By palak,
  • Updated: 13 Apr, 2023 06:43 PM
सत्तू का है बैसाखी से गहरा कनेक्शन, जानिए आखिर क्यों इस दिन किया जाता है इसका सेवन?

कल पंजाबी लोगों का मुख्य त्योहार  बैसाखी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इस दिन को मेष संक्राति भी कहते हैं। मेष संक्रांति वाले दिन यानी की बैसाखी पर स्नान, ध्यान, तप-जप और दान जैसी चीजों का बहुत ही महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार, बैसाखी वाले दिन सत्तू का दान किया जाता है। इसके अलावा इस दिन इसका सेवन भी किया जाता है तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस दिन क्यों सत्तू दान किया जाता है...

इसलिए खाया जाता है सत्तू 

इस दिन सूर्य मेष राशि में आते हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र की मानें तो मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि कहा जाता है इसके अलावा सूर्य भी अग्नि तत्व के ग्रह माने जाते हैं। जैसे सूर्य मेष राशि में आते हैं तो गर्मी भी बढ़ने लग जाती है इसलिए स्वास्थ्य का ध्यान रखें और शरीर को ठंडक देने के लिए ऐसी चीजों का सेवन किया जाता है। शरीर को ठंडक देने के लिए सत्तू का सेवन किया जाता है क्योंकि यह  ठंडा होता है।  

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सूर्य, मंगल और गुरु से माना जाता है सत्तू का संबंध 

बैसाखी पर बिहार और कई राज्यों में सत्तू खाया जाता है और दान भी किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इसका संबंध सूर्य , मंगल और गुरु से माना जाता है ऐसे में जब सूर्य देव मेष राशि में आते हैं तो गुड़ और सत्तू खाना शुभ माना जाता है इसके अलावा इस दिन सत्तू का दान भी करना शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सत्तू खाने से सूर्य की कृपा आप पर बनेगी। इसके अलावा सत्तू का दान करने से सूर्य, शनि, मंगल और गुरु 4 ग्रह प्रसन्न होते हैं। 

इस दिन की जाती है सत्यनारायण भगवान की पूजा 

मेष संक्रांति यानी की बैसाखी वाले दिन गंगा स्नान, जप-तप दान करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान सत्यनारायण खी पूजा भी की जाती है । भगवान सत्यनारायण को सत्तू को भोग लगाया जाता है और घर-घर प्रसाद भी बांटा जाता है। इस दिन कुछ लोग सत्तू का शरबत बनाकर दान करते हैं और पीते भी हैं। 

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शादी विवाह का शुभ मुहूर्त हो जाता है शुरु 

सूर्य जैसे ही मेष राशि में आते हैं तो खरमास भी शुरु हो जाता है। ऐसे में शादी-विवाह के लिए भी शुभ मुहूर्त शुरु हो जाता है। बैसाखी पर गंगा स्नान किया जाता है इसके अलावा फसल काटने के बाद सत्तू खाया जाता है। इस दिन सत्तू  घरों में खाया भी जाता है। सत्तू के साथ मिट्टी के घड़े, तिल, जल, जूते भी दान किया जाता है।

बिहार में किया जाता है इस दिन ककोलत जलप्रपात में स्नान 

बिहार में बैसाखी वाले दिन ककोलत जलप्रपात में स्नान किया जाता है। इस जलप्रपात में स्नान करने का खास महत्व माना जाता है। माना जाता है इस जल में नहाने से कुष्ठ रोग दूर होते हैं। इसके अलावा अगले जन्म में मनुष्य तो गिरगिट और सर्प योनी में भी जन्म नहीं लेना पड़ता। इसके अलावा बिहार में इस दिन मेला भी आयोजित किया जाता है।

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