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Ahoi Ashtami 2024: करवा चौथ के बाद का विशेष पर्व, जानें सही डेट और महत्व

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 22 Oct, 2024 12:58 PM
Ahoi Ashtami 2024: करवा चौथ के बाद का विशेष पर्व, जानें सही डेट और महत्व

नारी डेस्क: करवा चौथ के बाद अब महिलाओं का ध्यान अहोई अष्टमी की ओर है। यह पर्व खासतौर पर माताओं द्वारा अपने बच्चों की दीर्घायु, तरक्की और खुशहाली के लिए मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण पर्व की सही तिथि, महत्व और पूजा विधि।

अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। हिन्दू धर्म में अहोई माता को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है, जिनकी आराधना से महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

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अहोई अष्टमी 2024 की सही तिथि

इस वर्ष, अहोई अष्टमी की तिथि 23 अक्टूबर, 2024 (बुधवार) को रात 1:18 मिनट पर शुरू होगी, जो कि 24 अक्टूबर, 2024 (बृहस्पतिवार) को रात 1:58 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, सूर्योदय के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा।

पूजा का मुहूर्त

बृहस्पतिवार, 24 अक्टूबर 2024 को अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:42 मिनट से 6:59 मिनट तक रहेगा। पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 17 मिनट रहेगी, जिसमें महिलाएं अहोई माता की आराधना करेंगी।

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तारों को देखने का समय

अहोई अष्टमी पर पूजा के बाद, महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शाम में तारों को अर्घ्य देती हैं। इस दिन तारों को देखने का समय 6:06 मिनट के बाद है, जबकि चंद्रोदय का समय रात 11:55 मिनट पर होगा।

अहोई अष्टमी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि माताओं की संतान के प्रति असीम प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस पर्व को मनाकर महिलाएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। इस दिन की पूजा विधि और मुहूर्त का ध्यान रखते हुए, इस अवसर को खास बनाएं और अपने परिवार में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

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अहोई अष्टमी पूजा-विधि

इस दिन माताएं और महिलाएं सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें। सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए और साफ वस्त्रों को धारण कर लेना चाहिए। दीवार पर गेरू या कुमकुम से देवी अहोई की छवि निर्मित करें।
शाम को पूजा सही मुहूर्त देख करें। पूजा में 8 पूड़ी, 8 पुआ तथा हलवा जरुर रखें। पूजा के दौरान व्रत की कथा जरुर सुनें या पढ़ें। कथा सुनने के बाद देवी से बच्चों की रक्षा की प्रार्थना करें। इस दिन सेई की भी पूजा की जाती है तथा सेई को हलवा एवं सरई की सात सींकें अर्पित की जाती हैं। पूजा के बाद अहोई अष्टमी की आरती करें। आकाश में तारों को देख कर व्रत का पारण करें।

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