क्या लड़कियों के लिए शादी सचमुच इतनी जरूरी है कि इसके लिए उनके सपनों को भी महत्व नहीं दिया जाता। आज वो समय है जब लड़कियां अपना करियर बनाने पर फोकस करती है लेकिन पेरेंट्स चाहते हैं कि उनकी बेटी शादी करके सैटल हो जाए।
30 के बाद शादी करना गलत क्यों?
अगर कोई लड़की 30 की उम्र के बाद शादी करती है तो समाज में उसे गलत नजरों से देखा जाता है। यही नहीं, अगर लड़की शादी के लिए राजी ना हो तो परिवार वाले उसे तानें देना शुरू कर देते हैं। वहीं पड़ोंसियों की कानाफूसी, कि जरूर लड़की में कोई कमी होगी? लगता है इसका कहीं चक्कर चल रहा है? कहीं इसकी कुंडली में कोई दोष तो नहीं? वगैरह।
फाइनेंशियली सपोर्ट की नहीं जरूरत
दरअसल, कई बार लड़कियों के लिए शादी सिर्फ घर बसाने तक ही सीमित नहीं होती। पहले के समय में लड़कियां पेरेंट्स या पति पर ही डिपेंड होती थी शायद इसी वजह से उनकी शादी जल्दी कर दी जाती थी। मगर, 21वीं सदी वो समय हैं, जहां लड़कियां खुद के पैरों पर खड़ी हैं। आज की लड़कियों को खुद को संभालने के लिए शादी की जरूरत नहीं है, वह खुद के पैरों पर खड़ी हैं और अपना ख्याल भी रख सकती हैं। उन्हें फाइनेंशियली सपोर्ट के लिए शादी करने की जरूरत नहीं।
अकेलापन नहीं करती महसूस, फिर क्यों...
वहीं बहुत से लोगों को लगता है कि जिंदगी के एक पड़ाव पर साथी की जरूरत होती है लेकिन भारत में बहुत-सी ऐसी महिलाएं है, जो शादीशुदा होने के बाद भी अकेलापन महसूस करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अकेले रहने और अकेलापन महसूस करने में बहुत फर्क होता है। कई बार शादी में भी हमें वो खुशी नहीं मिलती जो अकेले रहने पर मिलती है। जबकि कई बार पार्टनर ना होने पर भी महिलाओं अच्छा करियर व आजादी से संतुष्टि मिल जाती है। ऐसी कई महिलाएं है जो अकेली होने पर भी खुश हैं और अकेलापन महसूस नहीं करती।
शादी के लिए ना करें फोर्स
अगर आज लड़कियां शादी की बजाए अपना करियर चुनना चाहती हैं तो यह उनका फैसला है। ऐसे में उन्हें फोर्स नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जबरदस्ती की शादी भी ज्यादा दिन टिक नहीं पाती। शादी करने के लिए लड़कियों का सिर्फ फिजिकली ही नहीं बल्कि मेंटली फिट होना भी जरूरी है।
शादी से परे है लड़कियों का मकसद
जाहिर है, जिन लड़कियों का मकसद शादी से परे होता है, वो अक्सर समाजिक या ऑफिस के कामों में इन्वोल्व हो जाती हैं। इन्हें खुद का परिवार बसाने से ज्यादा संतुष्टि दूसरों का भला करने में मिलती हैं। उन के पास समय भी होता है और साधन भी, जिन्हे वो जनकल्याण के कामों में लगाकर ना सिर्फ अपनी पहचान बनाती है बल्कि दूसरों के लिए मिसाल भी बनती है।
खैर, हम तो यही कहना चाहेंगे कि आजकल की लड़कियों के फैसले का सम्मान करें और उनका साथ दें, तानें नहीं।