नारी डेस्क: वर्किंग मदर की जिंदगी बेहद मुश्किल भरी होती है, क्योंकि वह हमेशा एक guilt में रहती हैं। उन्हें लगता है कि वह काम के चक्कर में अपने बच्चों को समय नहीं दे पातीं और इसलिए खुद को मन ही मन दोष देना शुरू कर देती हैं। अगर वो बच्चों का ध्यान रखती है तो ऑफिस के काम छूटने लगते हैं और अगर ऑफिस के काम को तवज्जों दें तो बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाती। बच्चे को समय न दे पाना का पछतावा माताओं के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है।
मदर गिल्ट के कारण
व्यस्त दिनचर्या: नौकरी, घर के काम, और अन्य जिम्मेदारियों के कारण माताएं बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पातीं।
सोशल मीडिया का दबाव: सोशल मीडिया पर परफेक्ट पेरेंटिंग की तस्वीरें देखने से माताओं को खुद को कम आंकने का भाव आ सकता है।
समाज की अपेक्षाएं: समाज से यह अपेक्षा होती है कि एक मां हमेशा बच्चों के साथ रहे और उनकी हर जरूरत का ख्याल रखे। इससे मां पर मानसिक दबाव बढ़ जाता है।
काम और परिवार में संतुलन: कामकाजी माताओं को अक्सर काम और बच्चों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होता है, जिससे अपराधबोध पैदा होता है।
निजी समय की कमी: कई बार माताओं को खुद के लिए समय नहीं मिल पाता, जिससे वे थका हुआ महसूस करती हैं और बच्चों को पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाने का पछतावा होता है।
मदर गिल्ट से बाहर निकलने के तरीके
स्वीकार करें कि आप परफेक्ट नहीं हो सकतीं: कोई भी मां परफेक्ट नहीं होती। हर कोई गलती करता है और यह सामान्य है। खुद से ज्यादा अपेक्षाएं रखना नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
गुणवत्ता बनाम मात्रा पर ध्यान दें: बच्चों के साथ समय बिताने में मात्रा से ज्यादा गुणवत्ता का महत्व है। कुछ समय अगर पूरी तरह ध्यान देकर बिताया जाए, तो वह बच्चों के लिए बहुत मूल्यवान होता है। दिन में थोड़ी देर का भी ध्यानपूर्ण समय आपके रिश्ते को मजबूत बना सकता है।
यथार्थवादी अपेक्षाएं रखें: अपने आप से यथार्थवादी अपेक्षाएं रखें। सब कुछ पूरा करना संभव नहीं है। बच्चों के पालन-पोषण में थोड़ी बहुत गड़बड़ियां भी हो सकती हैं, लेकिन इससे आप एक अच्छी मां होना बंद नहीं होतीं।
अपने लिए भी समय निकालें : खुद की देखभाल जरूरी है। जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगी, तभी आप अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकेंगी। आराम करें, कुछ वक्त खुद के लिए निकालें।
सोशल मीडिया से दूर रहें: सोशल मीडिया पर पेरेंटिंग की 'परफेक्ट' तस्वीरें देखकर निराश न हों। असल जिंदगी में हर किसी के सामने चुनौतियां होती हैं, जिन्हें कैमरे पर नहीं दिखाया जाता।
बच्चों से बातचीत करें: बच्चों से उनकी जरूरतें समझने के लिए बातचीत करें। कई बार बच्चे उतनी चीजें नहीं मांगते जितनी आप सोचती हैं। उनके साथ ओपन कम्युनिकेशन रखने से आपको उनकी भावनाओं को समझने में मदद मिलेगी।
सहायता मांगने में संकोच न करें: अगर काम ज्यादा हो या समय की कमी महसूस हो रही हो, तो परिवार या दोस्तों से मदद लेने में संकोच न करें। यह आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखेगा।
क्षमा करना सीखें: खुद को माफ करना और यह समझना कि आप हर समय सब कुछ नहीं कर सकतीं, आपको भावनात्मक तौर पर मजबूत बनाएगा। अपनी गलतियों से सीखें और आगे बढ़ें।
पॉजिटिव सेल्फ-टॉक : अपने आप से पॉजिटिव बातें करें। खुद को याद दिलाएं कि आप अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा कर रही हैं और हर दिन बेहतर बनने की कोशिश कर रही हैं।
मदर गिल्ट एक सामान्य अनुभव है, लेकिन इससे खुद को बाहर निकालने के लिए जरूरी है कि आप अपने ऊपर अत्यधिक दबाव न डालें। पेरेंटिंग एक प्रक्रिया है, और हर दिन इसके साथ सीखने और बेहतर होने का मौका है।