भारत के हर कोने में गणेशोत्सव की धूम शुरु हो चुकी है। साल 2021 गणेश चतुर्थी 10 सितंबर से लेकर 19 सितंबर तक चलेगी। हालांकि कोरोना की वजह से इस साल बप्पा का आगमन थोड़ा-फीका पड़ गया है। गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक चलता है इसलिए इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। वहीं, कुछ जगहों पर इस फेस्टिवल को डंडा चौथ भी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी को क्यों कहते हैं डंडा चौथ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, धन, विज्ञान, ज्ञान, ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि और समृद्धि के दाता भगवान गणेश की शिक्षा का शुरांम्भ भी इसी दिन से हुआ था। इसी दिन से विद्याध्ययन की शुरूआत होती है। कुछ देशों में तो बच्चे डंडे बजाकर खेल भी खेलते हैं, जिस कारण कुछ क्षेत्रों में इसे 'डंडा चौथ' उत्सव के नाम से जाना जाता है।
कैसे हुआ भगवान गणेश का जन्म?
भगवान गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव की अनुपस्थिति में खुद को बचाने के लिए भगवान गणेश को मिट्टी से बनाया था। जब वह स्नान करने गई तो उसने भगवान गणेश से दरवाजे की रक्षा करने के लिए कहा। मगर, उसी दौरान भगवान शिव घर लौट आए। वे एक-दूसरे को नहीं जानते थे। भगवान शिव ने अंदर जाने की कोशिश की लेकिन बप्पा ने उन्हें मना कर दिया। क्रोधित होकर भगवान शिव ने भगवान गणेश का सिर काट दिया।
इस कृत्य से देवी पार्वती क्रोधित हो गईं। माता का क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव व देवताओं से गणेश के सिर की खोज शुरू की। देवताओं ने हर जगह खोजा लेकिन उन्हें सिर्फ एक हाथी का सिर मिला। इसके बाद भगवान शिव ने उस सिर को बप्पा के धड़ पर लगा दिया और इस तरह गणेश का जन्म हुआ।
अलग-अलग देशों में होती है धूम
महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्य इसे बड़ी भव्यता और ग्लैमर के साथ मनाते हैं। कोई भी महत्वपूर्ण कार्य शुरू करने से पहले लोग भगवान गणेश का आशीर्वाद लेते हैं और इस पर्व के दौरान लोग उनकी बुद्धिमत्ता को याद करते हैं। वहीं, कुछ लोग शांति और समृद्धि के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
108 नाम से जाने जाते हैं भगवान गणेश
हाथी के सिर वाले भगवान गणेश धन, विज्ञान, ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। भगवान गणेश के लगभग 108 अलग-अलग नाम हैं। उन्हें गजानन, विनायक, विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है।