शास्त्रों व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान खाना न खाने, पानी न पानी, सोने की मनाही व नुकीली चीजों जैसी कई नियमों का पालन करना होता है। वहीं, इस दौरान मंदिरों के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं। मगर, क्या आप जानते हैं कि ग्रहण के दौरान इतनी सावधानियां बरतने के लिए क्यों कहा जाता है? चलिए आपको बताते हैं इस दौरान खाने-पीने और सोने की मनाही क्यों की जाती है...
खान-पान की मनाही क्यों?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खान-पान की चीजें दूषित हो जाती है, जिसे खाने से सेहत को नुकसान हो सकता है। वहीं, साइंस की भाषा में कहे तो ग्रहण के दौरान कॉस्मिक किरणें धरती पर आती हैं, जो वातावरण में बैक्टीरिया को खत्म करने वाली पराबैंगनी किरणें कम कर देती है। इससे पका हुआ खाना दूषित हो जाता है। इसलिए इस दौरान खान-पान की मनाही की जाती है।
हो सकती हैं पेट से जुड़ी समस्याएं
क्योंकि ग्रहण के समय भोजन में अशुद्धियां आ जाती हैं इसलिए ऐसा खाना खाने से आपको पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि बीमार, छोटे बच्चे व गर्भवती महिलाएं इस दौरान तुलसी वाला दूध, सूखे मेवे या सात्विक भोजन ले सकती हैं।
खाने पर क्यों रखा जाता है तुलसी का पत्ता?
साइंस की मानें तो तुलसी में पारा होता है, जिस पर किरणों का कोई असर नहीं होता। इसलिए खाने में तुलसी का पत्ता रखने से वह निष्क्रिय हो जाती हैं। वहीं, धार्मिक दृष्टि से देखें तो तुलसी में दोषों का नाश करने वाले औषधीए गुण होते हैं इसलिए नेगेटिव ऊर्जा खत्म करने के लिए इसका प्रयोग होता है।
सोना क्यों होता है वर्जित
मान्यता है कि इस समय आराम करने या सोने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस दौरान मंत्र जाप या ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।