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किसने रखा था पहला Karwa Chauth और कैसे हुई इस Vrat की शुरूआत

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 23 Oct, 2021 12:22 PM
किसने रखा था पहला Karwa Chauth और कैसे हुई इस Vrat की शुरूआत

भारत में करवा चौथ रखने की परंपरा सदियों से चलती आ रही हैं, जिसे नीरजा व्रत के रूप में भी जाना जाता है। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए पत्नी द्वारा रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं भूखी-प्यासी रहकर पति की दीर्घायु व अच्छे सौभाग्य की कामना करती हैं। मगर, क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा की शुरूआत किसने की और पहला व्रत रखने वाली स्त्री कौन थी। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कितने रखा था करवा चौथ का पहला व्रत और इससे जुड़ी कुछ खास बातें...

किसने रखा था सबसे पहले व्रत?

पौराणिक कथाओं की मानें तो करवा चौथ का पहला व्रत माता पार्वती ने भगलाव शिव के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्हें सौभाग्य का वरदान मिला। ऐसा भी कहा जाता है कि एक युद्ध के दौरान जब देवता हारने लगे तो वह भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे। तब उन्होंने देवताओं की पत्नियों को व्रत रखकर उनकी विजय की कामना करने के लिए कहा। देवताओं की पत्नियों ने ऐसा ही किया और इससे उन्हें जीत प्राप्त हुई।

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द्रोपदी ने भी रखा था पांडवो के लिए व्रत

कहा जाता है कि द्रौपदी ने भी यह व्रत रखा था। जब अर्जुन तपस्या के लिए नीलगिरी गए तो बाकी पांडवों को उनकी अनुपस्थिति में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। तब द्रौपदी ने हताशा में भगवान कृष्ण को याद किया और मदद मांगी। भगवान कृष्ण ने उन्हें याद दिलाया कि पहले एक अवसर पर, जब देवी पार्वती ने इसी तरह की परिस्थितियों में भगवान शिव का मार्गदर्शन मांगा था, उन्हें करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी गई थी। इस कथा के कुछ कथनों में शिव पार्वती को करवा चौथ व्रत का वर्णन करने के लिए वीरवती की कथा सुनाते हैं। द्रौपदी ने निर्देशों का पालन किया और अपने सभी अनुष्ठानों के साथ व्रत का पालन किया। नतीजतन, पांडव अपनी समस्याओं को दूर करने में सक्षम हुए।

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सुहागन औरतें क्यों रखती है करवाचौथ व्रत?

यह प्रेम, विवाह और पति-पत्नी के बीच साझा किए गए अटूट बंधन का उत्सव है। "करवा" शब्द का अर्थ है पानी का मिट्टी का बर्तन और चौथ शब्द का अर्थ है चौथा। वहीं, स्त्री को शक्ति का रूप माना जाता है इसलिए उसे ये वरदान मिला है कि वो जिस चीज के लिए भी तप करेगी, उसे उसका फल अवश्य मिलेगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री अपने पति को यमराज से वापस आई थी तो वहीं, वीरवती और माता करवा ने भी अपने सच्चे प्रेम और श्रद्धा के दम पर अपने पति के प्राणों की रक्षा की।

क्यों सुनी जाती है करवा के साथ गणेश जी की कथा?

कहा जाता है कि करवा चौथ की कथा कभी भी अकेले नहीं सुननी चाहिए इसलिए इस दौरीन भगवान गणेश जी की कथा भी सुनाई जाती है। वहीं, इस दिन श्रीगणेश जी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।

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अब बहुत से पुरुषों ने भी अपनी पत्नियों के लिए व्रत रखना शुरू कर दिया है। इसने त्योहार को और भी खास बना दिया है क्योंकि यह प्यार, करुणा और समझ का प्रतीक है।

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