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दिवाली के बाद कब है तुलसी विवाह? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और भोग

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 26 Oct, 2024 11:05 AM
दिवाली के बाद कब है तुलसी विवाह? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और भोग

नारी डेस्क: तुलसी विवाह, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार, दिवाली के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाएगा। इस साल यह त्योहार 12 नवंबर 2024 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं, तुलसी विवाह का महत्व, पूजा विधि और इसके साथ जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

तुलसी विवाह का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यों के राजा जलंधर की पत्नी वृंदा एक पतिव्रता और विष्णु भक्त थीं। जलंधर के पतिव्रता धर्म के कारण उसे हराना मुश्किल था। भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग किया, जिसके परिणामस्वरूप जलंधर भगवान शिव के हाथों मारा गया। इसके बाद, वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर में परिवर्तित होने का शाप दिया, जिसे 'शालिग्राम' कहा जाता है। वृंदा ने आत्मदाह किया और जहां आत्मदाह किया, वहां एक तुलसी का पौधा प्रकट हुआ। भगवान विष्णु ने कहा कि तुलसी का विवाह उनके शालिग्राम स्वरूप से होगा। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

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तुलसी विवाह 2024: सही डेट और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि इस साल 12 नवंबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर शुरू होगी और 13 नवंबर, 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी युक्त द्वादशी तिथि के प्रदोष काल में तुलसी विवाह का आयोजन करना उत्तम माना जाता है। इस वर्ष, तुलसी विवाह 12 नवंबर को शाम 5:29 बजे से लेकर शाम 7:53 बजे तक शुभ मुहूर्त में किया जाएगा।

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तुलसी विवाह की पूजा विधि

पूजा की तैयारी एक चौकी पर आसन बिछाएं और तुलसी और शालिग्राम की मूर्ति स्थापित करें।  चौकी के चारों ओर गन्ने और केले का मंडप सजाएं और कलश की स्थापना करें। पहले कलश और गौरी गणेश का पूजन करें। फिर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, और फूल चढ़ाएं।माता तुलसी को श्रृंगार के सभी सामान और लाल चुनरी चढ़ाएं। पूजा के बाद तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करें। परिवार के लोग विवाह के गीत और मंगलगान गा सकते हैं। हाथ में आसन सहित शालिग्राम को लेकर तुलसी के सात फेरे लें। सातों फेरे पूरे होने के बाद भगवान विष्णु और तुलसी माता की आरती करें।
आरती के बाद सपरिवार भगवान विष्णु और तुलसी माता को प्रणाम करें और पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद बांटें। तुलसी विवाह का भोग और प्रसादतुलसी विवाह के अवसर पर भगवान विष्णु और माता तुलसी को विभिन्न भोग अर्पित किए जाते हैं, जैसे:

1. पंचामृत

2. केसरयुक्त चावल

3. खीर

4. पूरियां

5. मोतीचूर लड्डू

6. गुलाब जामुन

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पंचामृत बनाने के लिए आधा कप दूध, आधा कप दही, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच शुद्ध शक्कर, 1 चम्मच घी और 5 तुलसी पत्तों को एक शुद्ध पात्र में डालकर अच्छे से फेंट लें। यह भोग भगवान को अर्पित करने के लिए तैयार है।

तुलसी विवाह न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भक्तों के लिए एक अवसर है कि वे भगवान विष्णु और माता तुलसी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें। इस दिन किए गए अनुष्ठान और भोग से घर में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इसलिए इस विशेष अवसर पर पूजा-पाठ करना और पारिवारिक मिलन मनाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

 

 

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