कल पूरे भारत में दशहरा यानी की विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, त्रेताायुग में आश्विन महीन की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि वाले दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर मां सीता को उनकी गिरफ्त से आजाद करवाया था। ऐसे में हर साल इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को लेकर कई सारी पौराणिक मान्यताएं भी हैं। एक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नीलकंठ नाम के पक्षी के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि दशहरे वाले दिन नीलकंठ वाले दिन नीलकंठ के दर्शन करने से सारे बिगड़े काम बनते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस दिन क्यों नीलकंठ के दर्शन करना शुभ माना जाता है।
बेहद शुभ माना जाता है नीलकंठ
हिंदू धर्म में भी नीलकंठ को बहुत ही शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि दशहरे वाले दिन नीलकंठ के दर्शन हो तो घर में धन, संपत्ति बढ़ती है। इसके अलावा दशहरा के दिन नीलकंठ दिखे तो इससे घर में खुशहाली आती है और व्यक्ति जो भी काम करे उसमें उसे सफलता जरुर मिलती है।
दशहरे पर दिखे तो मिलता है ये संकेत
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री राम राजा रावण का वध करने के लिए जा रहे थे तो उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। इसके बाद ही श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि रावण का वध करने के बाद भगवान राम पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने शिवजी से आराधना की थी। इसके बाद श्रीराम भगवान ने पाप से मुक्ति दिलवाने के लिए भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी के रुप में दर्शन किए थे। तभी से दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करने की परंपरा प्रचलित है। इसलिए दशहरा वाले दिन नीलकंठ दिखना शुभ माना जाता है।
क्या होता है नीलकंठ का अर्थ?
नील कंठ का अर्थ है जिसका गला नीला हो। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव का भी नाम नीलकंठ है इसलिए इस पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरुप माना जाता है। माना जाता है कि यदि दशहरा वाले दिन भगवान शिव स्वंय नीलकंठ पक्षी का रुप धारण कर विचरण करते हैं। ऐसे में यदि इस दिन किसी को नीलकंठ के दर्शन हो जाएं तो यह एक बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है।