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सैफ के दादा-परदादा कैसे बने थे पटौदी नवाब? 9वें नवाब मंसूर अली खान को क्यों कहते थे Tiger

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 06 Jan, 2024 05:40 PM
सैफ के दादा-परदादा कैसे बने थे पटौदी नवाब? 9वें नवाब मंसूर अली खान को क्यों कहते थे Tiger

बॉलीवुड के सैफ अली खान पटौदी रियासत के 10 नवाब हैं। यह बात तो सब जानते हैं उन्हें ये खिताब अपने पिता मंसूर अली खान पटौदी के बाद मिला जोकि 9वें नवाब थे लेकिन सैफ के दादा-परदादा का इतिहास क्या है और वह पटौदी रियासत के नवाब कैसे बने और कहां से आए थे? इस बारे में आज भी बहुत से लोग नहीं जानते तो चलिए आज सैफ अली खान के दादका परिवार पटौदी इतिहास के बारे में ही आपको बताते हैं। पटौदी रियासत को मुगलों के साथ जोड़ा जाता है क्योंकि पटौदियों का मुगल के साथ खास कनैक्शन रहा है हालांकि अब रियासत-नवाबों वाला सिस्टर सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया है लेकिन फिर भी पटौदी रियासत व परिवार वालों ने सैफ को नवाब का तमगा दिया।

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पटौदी रियासत का इतिहास करीब 200 साल पुराना

हरियाणा के गुड़गांव जिसे अब गुरुग्राम कहते हैं, से 26 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में बसे पटौदी रियासत का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। पटौदी रियासत की स्थापना साल 1804 में हुई। इस रियासत के पहले नवाब फैज तलब खान थे। कुछ इतिहासकार लिखते है पटौदी के नवाबों के पूर्वज खाऩजादे राजपूत थे। वहीं कुछ का कहना है कि उनके पुरखे  सलामत खान साल 1480 में अफगानिस्तान से भारत आए थे। अग्रेंजों ने ही फैज खान को पहला नवाब बनाया था। वह सलामत खान का ही वशंज था। फैज ने अंग्रेजों का मराठों के खिलाफ लड़ाई में साथ दिया था। कहा जाता है कि उनके पुरखे गजब के घुड़सवार थे। उस दौर में अफगानिस्तान से बहुत बड़ी तादाद में लोग भारत बेहतर जिंदगी की तलाश में आते थे।

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मुगलों से तोहफे में मिली थी दिल्ली व राजस्थान की जमीनें

सन् 1408 में सैफ अली खान के पुरखे सलामत खान, अफगानिस्तान से भारत आए थे। सलामत के पोते अल्फ खान ने मुगलों का कई लड़ाइयों में साथ दिया था। सी के चलते अल्फ खान को राजस्थान और दिल्ली में तोहफे के रूप में जमीनें मिली थी जिसमें पटौदी रियासत की स्‍थापना हुई। पटौदी रिसायत का मुगलों के साथ संबंध अच्छा रहा था। शायद यही वजह है कि पटौदी रिसायत का मुगलों के प्रति शुरू से ही झुकाव रहा है।  

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फैज के बाद दूसरे नवाब अकबर अली सिद्दिकी खान, तीसरे मोहम्मद अली ताकी सिद्दिकी खान, चौथे मोहम्मद मोख्तार सिद्दिकी खान, पांचवें मोहम्मद मुमताज सिद्दिकी खान, छठे मोहम्मद मुजफ्फर सिद्दिकी खान और सातवें नवाब मोहम्मद इब्राहिम सिद्दिकी खान रहे। वहीं इफ्तिखार अली खान हुसैन सिद्दिकी पटौदी, पटौदी रियासत के 8वें नवाब बने जो उस समय के मशहूर क्रिकेटर भी थे, सैफ उन्हीं के पोते हैं। इफ्तिखार अली खान बेहतरीन बल्लेबाज थे। उन्होंने इंग्लैंड की तरफ से भी टेस्ट खेला और आगे चलकर भारत की भी नुमाइंदगी की। वे भारतीय टीम के कप्तान भी रहे।

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क्यों मिला था मंसूर को टाइगर का खिताब

इफ्तिखार के बेटे मंसूर अली खान उर्फ टाइगर पटौदी रियासत के 9वें नवाब रहे। उन्‍हें लोग नवाब पटौदी के नाम से भी जानते थे और उन्हें टाइगर भी कहते हैं। मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल के नवाब खानदान में हुआ था। नवाबी जहां उन्हें विरासत में मिली थी वहीं तो क्रिकेट में कामयाबी उन्होंने अपनी मेहनत से पाई थी। वे भारत के उन क्रिकेटर्स में से एक रहे हैं जिनकी बदौलत भारतीय क्रिकेट आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा है। वह वर्ल्ड और  इंडिया के सबसे यंगेस्ट कैप्टन थे। भारत ने एशिया से बाहर न्यूयॉर्क को हराकर पहला टेस्ट मैच जीता था। इसकी कप्तानी मंसूर अली ही कर रहे थे। सन 1962 में वह इंडियन क्रिकेटर ऑफ द ईयर बने थे। क्रिकेट के मैदान पर उनका खेल इतना जबरदस्त होता था। बड़े-बड़े गेंदबाज भी उनके सामने परेशान दिखाई देते थे। उन्हें भारतीय क्रिकेट के शानदार प्लेयर के तौर पर देखा जाता था और इसी खेल की बदौलत उन्हें 'क्रिकेट की दुनिया का टाइगर' का खिताब मिला था।

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अपनी खूबसूरती से सब को आकर्षित करता है पटौदी पैलेस

उसके बाद सैफ अली खान 10वें नवाब बने हालांकि वह इस नवाब की पदवी को नहीं लेना चाहते थे क्‍योंकि सरकार इस पद को नहीं मानती लेकिन इब्राहिम पैलेस में जब 52 गांवों के सरपंचों ने उनके सिर पर पगड़ी बांधी तो उन्‍हें लोगों की भावनाओं की कद्र करनी पड़ी। बता दें कि नवाब परिवार का पटौदी पैलेस के नाम से महल है। मंसूर अली उर्फ नवाब पटौदी की मृत्यु के बाद उन्हें महल परिसर में ही दफनाया गया था। उनके अन्य पूर्वजों की कब्र भी यहीं आसपास ही है। जिन लोगों ने मंसूर अली खान पटौदी के विशाल महल को देखा होगा, उन्हें उसकी भव्यता और खूबसूरती ने अपनी तरफ अवश्य खींचा होगा। दरअसल उनके पुश्तैनी महल और राजधानी के सबसे नामचीन बाजार कनॉट प्लेस के बीच बेहद गहरा रिश्ता है क्योंकि जिन रोबर्ट टोर रसेल ने कनॉट प्लेस का डिजाइन तैयार किया था, उन्होंने ही पटौदी के महल का भी डिजाइन बनाया था। कहते हैं कि पटौदी के वालिद साहब इफ्तिखार अली खान पटौदी कनॉट प्लेस के डिजाइन से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने निश्चय किया कि उनके महल का डिजाइन भी रसेल ही तैयार करेंगे।

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