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Paralympic में अवनि ने जीता गाेल्ड और मोना ने ब्रॉन्ज , राजस्थान की इन दो बेटियों ने भारत की झोली में डाले मेडल

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 30 Aug, 2024 04:41 PM
Paralympic में अवनि ने जीता गाेल्ड और मोना ने ब्रॉन्ज , राजस्थान की इन दो बेटियों ने भारत की झोली में डाले मेडल

विदेशी धरती में एक बार फिर भारत का सिर गर्व से उंचा हो गयर। देश की दो बेटियां ने कमाल कर दिखाया। अवनि लेखरा ने तोक्यो के बाद पेरिस पैरालम्पिक में भी नये रिकॉर्ड के साथ महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता जबकि भारत की मोना अग्रवाल को कांस्य पदक मिला ।

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दिलचस्प बात तो यह है कि दोनों ही राजस्थान से हैं ऐसे में उनके राज्य के साथ- साथ 140 करोड़ लोगों की नजरें भी इन दोनों पर टिकी हुई थी। अवनि लेखरा ने तोक्यो के बाद पेरिस पैरालम्पिक में भी नये रिकॉर्ड के साथ महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता जबकि भारत की मोना अग्रवाल को कांस्य पदक मिला । तीन साल पहले तोक्यो में स्वर्ण जीतने वाली 22 वर्ष की अवनि ने 249 . 7 का स्कोर करके अपना ही 249 . 6 का पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त किया । मोना ने 228 . 7 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता । 

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अवनी तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक में एसएच1 श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतने के बाद देश की सबसे अधिक सुर्खियां बटोरने वाली पैरा खिलाड़ी बनी थी। उन्होंने तोक्यो पैरालंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में कांस्य पदक जीता था। कार दुर्घटना में शरीर के निचले हिस्से में गंभीर चोट के बाद से अवनी व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती है। 

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निशानेबाजी में एसएच1 श्रेणी में ऐसे निशानेबाज शामिल होते हैं जिनकी बांहों, निचले धड़, पैरों की गति प्रभावित होती है या उनके हाथ या पैर में विकार होता है। मोना अग्रवाल की बात करें तो उन्होंने साल 2021 दिसंबर में ही शूटिंग शुरू की है और वे इतने कम समय में पैरालंपिक तक पहुंच गई हैं। वे 37 साल की हैं और दो बच्चों की मां हैं। मोना शूटिंग के अलावा पावर लिफ्टिंग और शॉटपुट में स्टेट लेवल तक खेल चुकी हैं।

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