स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक, देशभक्त, महान चिंतक और समाज-सुधारक थे। इन्होंने देश को आगे बढ़ने के लिए कई बड़े-बड़े व महत्वपूर्ण काम किए। बता दें, स्वामी जी ने सती प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करके समाज को एक नई दिशा की ओर बढ़ाया। समाज में फैली इन कुरीतियों को दूर करने के लिए स्वामी दयानंद जी ने वेदों का प्रमाण दिया। स्वामी जी का जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था। मगर हिंदी कैलेंडर अनुसार इनकी जयंती आज यानि 26 फरवरी को मनाई जाती है। ऐसे में आज स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जयंती के शुभ अवसर पर उनके कुछ अनमोल वचन बताते हैं, जिससे युवा वर्ग को सीख लेनी चाहिए।
चलिए जानते हैं स्वामी दयानंद सरस्वती जी के कुछ अनमोल विचार
. वह अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच का साथ दें, धर्म के अनुसार चले और दूसरों को उत्तम और प्रसन्न बनाने के लिए कोशिश करता रहे।
. धन एक ऐसी वस्तु है जो सिर्फ ईमानदारी और न्याय से कमाई जाती है। इसका विपरीत अधर्म का खजाना माना जाता है।
. आत्मा अपने स्वरुप में एक ही है मगर उसके अनेकों अस्तित्व हैं।
. जिंदगी में मौत को कभी टाला नहीं जा सकता। यह बात हर कोई ये जानने के बावजूद भी अन्दर से इसे नहीं मानते- ‘ये मेरे साथ नहीं होगा।’ इसी वजह से से मृत्यु सबसे कठिन चुनौती है जिसका एक दिन हर व्यक्ति को सामना करना ही पड़ता है।
. प्रार्थना हर रूम में प्रभावी होती है। असल में, यह एक प्रक्रिया है जिसका परिणान होगा। यह ब्रह्मांड का एक नियम है जिसमें हम स्वयं को ही पाते हैं।
. कोई भी व्यक्ति हृदय सहानुभूति से वंचित नहीं होता है। कोई भी धर्म उसे पढ़ा-लिखाकर नष्ट भी नहीं कर सकता है। कोई संस्कृति, कोई राष्ट्र और कोई राष्ट्रवाद- उसे छू नहीं सकता क्योंकि ये ही सहानुभूति है।
. जो इंसान सबसे कम ग्रहण और सबसे अधिक योगदान देता है वह परिपक्कव है। असल में, जीने में ही आत्म-विकास शामिल होता है।