कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरु के पास चिकबल्लापुर स्थित सदगुरु सन्निधि में आदियोगी की 112 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। 112 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बोम्मई ने कहा कि - 'आदियोगी लंबे समय तक लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेंगे।'
स्थापना करने के बाद दिखाया गया वीडियो
आदियोगी की इस मूर्ति का अनावरण करने के बाद 14 मिनट तक आदियोगी का दिव्य दर्शनम दिखाया गया। इस शो में वीडियो इमेजिंग को 112 फीट के आदियोगी को मैप किया गया। वीडियो चलाने के बाद ईशा सम्सकृति के छात्रों ने और साउड्स ऑफ ईशा ने अपनी कला का प्रदर्शन करके अनावरण के दौरान मौजूद सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सैलानियों को दी जाएगी प्रस्तुति
जानकारी के अनुसार, 15 जनवरी से हर दिन शाम के सैलानियों के लिए आदियोगी के दिव्य दर्शनम की प्रस्तुति की जाएगी। सदगुरु सन्निधि में आदिगुरु की 112 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण से पहले सदगुरु ने प्रतिमा के पास योगेश्वर लिंग की प्राणप्रतिष्ठा की और इसे मानव तंत्र में पांच चक्रों की अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि - 'योगेश्वर लिंग की मौजूदगी से आदियोगी एक जीवंत इकाई बन पाएंगे। नाग-प्रतिष्ठा के बाद सदगुरु सन्निधि में यह दूसरी प्राणप्रतिष्ठा है।'
सदगुरु सन्निधि में बनेंगे ये मंदिर
सदगुरु सन्निदि में नाग मंदिर, आदियोग और योगेश्वर लिंग के साथ ही लिंग भैरवी मंदिर, नवग्रह मंदिर और दो तीर्थकुंड या ऊर्जान्वित जल कुंड भी बनाए जाएंगे। इसमें ईशा होम स्कूल, पारंपरिक भारतीय कला से संबंधित रुप के लिए स्कूल, ईशा संस्कृति और ईशा लीडरशिप अकादमी भी बनाए जाएंगे। ईशा योग केंद्र कोयंबटूर के जैसे सन्नधि में योग कार्यक्रम लोगों को अपने आंतरिक विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने में सहायता करेंगे।
सदगुरु सन्निधि सदगुरु के दृष्टिकोण का हिस्सा है
गौरतलब है कि सदगुरु सन्निधि सारी दुनिया में आध्यात्मिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के सदगुरु के दृष्टिकोण का एक हिस्सा है। इसके जरिए मानवता को आध्यात्मिकता की एक बूंद मिले इसका यह लक्ष्य रखा गया है। सदगुरु के साथ जुड़े लोगों का मानना है कि यह स्थान व्यक्ति में आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देगी। यह मन, शरीर भावना और ऊर्जा में सामंजस्य लाने के लिए प्राचीन योग विज्ञान के कई साधनों और तकनीक को प्रस्तुत करेगा।