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किसी ने चलाई 1200 KM साइकिल तो किसी ने सड़क पर ही दिया बच्चे को जन्म, चुनौतियों भरा रहा साल 2020

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 30 Dec, 2020 06:05 PM
किसी ने चलाई 1200 KM साइकिल तो किसी ने सड़क पर ही दिया बच्चे को जन्म, चुनौतियों भरा रहा साल 2020

साल 2021 को आने में बहुत कम समय बाकी रह गया है। इस साल को खत्म होता देख हर एक के मन में यही सवाल आ रहा है कि आने वाला साल 2021 कैसा रहेगा। साल 2020 की ओर अगर एक नजर मारी जाए तो कुछ घटनाएं ऐसी भी रही जिन्होंने हमे हैरान कर दिया तो वहीं हमें यह देखकर हिम्मत भी मिली कि मुश्किल समय में हमें हार नहीं माननी चाहिए। सबसे ज्यादा दुखद समय इस साल तब रहा जब लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालात इतने मुश्किल थे कि किसी ने सड़क किनारे ही बच्चे को जन्म दिया तो किसी ने अपने बीमार पिता को लेकर 1200 किलोमीटर तक का सफर तय किया। आज हम आपको साल 2020 की कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताते हैं जिन्होंने हमें सीखाया कि हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। 

1. कोरोना के कारण अचानक लगे लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों की चिंता बढ़ा दी थी। खासकर उन लोगों की जिनके पास न तो कमाई का कोई साधन था और न ही सिर पर छत। ऐसे में देश का चप्पा-चप्पा मजदूरों से भर गया और वह अपने घर जाने के लिए निकल पड़े। इसी में अपनी ओर सबका ध्यान खींचा दरभंगा की ज्योति ने। जो महज 15 साल की है लेकिन हिम्मत के आगे बड़े बड़ों को मात देती है। 15 साल की ज्योति घर पहुंचने के लिए अपने बीमार पिता के साथ और निकली और उन्हें साइकिल पर बैठाकर उसने  तकरीबन 1200 किलोमीटर तक का सफर तय किया। इसके बाद ज्योति की हर तरफ सब ने खूब तारीफ की। इतना ही नहीं ज्योति के इस काम के लिए तो इवांका ट्रंप भी मुरीद हो गई । 

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इस मुश्किल सफर को ज्योति ने धीरे-धीरे पार किया और रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई। ज्योति के पिता गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे और उनके दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह अपनी मां और जीजा के साथ गुरुग्राम आई थी और फिर पिता की देखभाल के लिए वहीं रुक गई। इसी बीच कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई और ज्योति के पिता का काम ठप्प पड़ गया। ऐसे में ज्योति ने पिता के साथ साइकिल पर वापस गांव का सफर तय करने का फैसला किया। अपने इस काम के बाद ज्योति बिहार की साइकिल गर्ल के रूप में देश-दुनिया में मशहूर हो चुकी है। और खबरें तो ये तक आ रही थीं कि बिहार के दरभंगा की 15 वर्षीय ज्योति कुमारी पर जल्द ही फिल्म बनेगी। ज्योति के संघर्ष को फिल्मी पर्दे पर उतारने का अनुबंध बॉलीवुड के जाने-माने डायरेक्टर विनोद कापड़ी ने हासिल किया। 

2. तो वहीं इस साल एक और खबर सामने आई जिसने सबको यह बता दिया कि मां बच्चे को इस दुनिया में लाने के लिए हर मुश्किल से गुजर सकती है। दरअसल लॉकडाउन के दौरान जब प्रवासी मजदूर घर जा रहे थे तो इन्हीं में एक महिला प्रवासी मजदूर ने बच्चे को जन्म दिया। ये वाकया मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले से सामने आया था। लॉकडाउन में नासिक से 30 किलोमीटर पहले से ही पैदल चल कर आ रही गर्भवती मां ने महाराष्ट्र के पीपरी गांव में बच्चे को जन्म दिया। पैदल चल रही महिलाओं ने गर्भवती महिला के आस पास साड़ी की आड़ कर प्रसव कराया और बगैर अस्पताल के बिना किसी डॉक्टर के ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया और अपनी मजबूरी को देखते हुए फिर पैदल सफर करना शुरू कर दिया। 

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एक महिला को बच्चे को जन्म देते वक्त जो दर्द होता है उसे सहन करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी इस महिला की हिम्मत नहीं रूकी और वह अपने नवजात के साथ वहां 2 घंटे रूकी और फिर पैदल यात्रा शुरू कर दी। 

3. कोरोना लॉकडाउन में किसी किसी को तो खाना तक भी नसीब नहीं हुआ। और एक ऐसी ही तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी जिसमें आप इस महिला की आंखों में चिंता साफ देख सकते हो। दरअसल लॉकडाउन में इस महिला की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनके पास खाने को भी कुछ नहीं था। इतना ही नहीं इस महिला का दर्द इसलिए भी ज्यादा था क्योंकि इसकी 8 दिन की बेटी थी। महिला और उसका पति दोनों मजदूरी करते थे लेकिन लॉकडाउन के कारण काम धंधा बंद हो गया जिसके बाद उन्हें एक बार का खाना ही नसीब होता था। इस महिला का कहना है कि, 'बस एक मुट्ठी चावल खाया है....दूध नहीं उतर रहा है....बेटी को कैसे पिलाऊं

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4. वहीं आपको एक ऐसी और लड़की की कहानी बताते हैं जो मुश्किल हालातों को आगे भी झुकी नहीं। हम सब जानते हैं कि लॉकडाउन में लोगों ने बहुत मुश्किल से अपना पेट पाला। किसी को अपने जेवर तक देने पड़े तो किसी ने भूख में ही सारी रात गुजारी। ऐसे ही हालात रहे थे नंदिनी के। नंदिनी परिवार का पेट पालने के लिए घरों में जाकर काम करती थी लेकिन कोरोना लॉकडाउन में घर घर जाकर काम करना भी बंद हो गया और परिवार को पालने के लिए जो उनके पिता रिक्शा चलाकर पैसा कमाते थे वो भी बंद हो गया। इसका कारण था कि लॉकडाउन में रिक्शा चलाने पर उन्हें पुलिस से कईं बार पिटाई खानी पड़ी जिसके बाद उन्होंने रिक्शा चलाना ही छोड़ दिया। इन मुश्किल हालातों में भी नंदिनी के कदम रूके नहीं और उन्होंने परिवार का पेट पालने के लिए नंदिनी ने सीखा रिक्शा चलाना। लोगों ने इस दौरान नंदिनी का काफी मजाक भी बनाया लेकिन वो रूकी नहीं और खुद कमाई कर अपने परिवार को पालने लगी। 

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तो यह थी साल की वो कुछ तस्वीरें जिसने सबको हैरान कर दिया और यह सीख दी कि अगर आपमें हिम्मत है तो आपको कोई नहीं रोक सकता है। 

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