प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक बहुत ही नाजुक दौर होता है इस दौरान उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। शारीरिक और मानसिक बदलाव का महिलाओं को सामना करना पड़ सकता है। ऐसा महिला के शरीर में होने वाले हार्मोनल्स बदलावों के कारण होता है परंतु यह बदलाव सिर्फ तब तक ही नहीं होता जब तक महिलाएं गर्भवती होती हैं बल्कि बच्चे के जन्म के बाद भी महिलाओं का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। कुछ महिलाओं तो गर्भवस्था के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। जब यह तनाव गंभीर हो जाए तो इसे पोस्टमार्टम डिप्रेशन कहते हैं। लेकिन पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या होता है और आप इससे कैसे बच सकते हैं आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चे की डिलीवरी के बाद मां को होने वाले डिप्रेशन को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। इस दौरान महिलाओं को थकावट, चिंता, उदासी, नींद कम आना और असहज महसूस होना जैसे लक्षण दिखते हैं। कई कारणों के कारण महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन बढ़ने लगता है। इसके अलावा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हार्मोन में अचानक से बदलाव होने के कारण ब्रेन में कुछ रासायनिक अंसुतलन पैदा होने लगता है जिससे मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन आदि का कारण भी बनती हैं। टांकों में दर्द होना, सही तरह से आराम न कर पाना, नींद ना आना, बच्चे की जिम्मेदारी और परिवार की उम्मीदें भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन को कारण बनती हैं।
इसके लक्षण
. बहुत ज्यादा तनाव
. उदास और निराश महसूस करना
. नींद कम या ज्यादा आना
. आसपास की चीजों में कोई रुचि नहीं होना
. हर जगह दर्द होते रहना
. भूख न लगना या बहुत ज्यादा खाना खाना
. परिवार और दोस्तों से दूर रहना
. बहुत ज्यादा गुस्सा करना
. बच्चे के साथ अच्छी बॉन्डिंग न महसूस हो पाना
कैसे करें इसे मैनेज?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन को दूर करने के लिए आप परिवार वालों की मदद ले सकती हैं। परिवार वाले नई बनी मां को इमोशनल सपोर्ट करें, उसे आत्मविश्वास दें, बच्चे की देखभाल करने में उनकी मदद करें, उनकी परेशानी समझें और उनसे बात करने की कोशिश करें, लाइफस्टाइल में बदलाव करें, दिन में अपने लिए कुछ समय निकालें, योगा और एक्सरसाइज करें, हैल्दी डाइट लें। लाइफ में आए बदलावों को स्वीकारें, यदि समस्या बढ़ती है तो एक्सपर्ट्स की मदद से आप काउंसलिंग ले सकते हैं।