शीर्ष भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीता जबकि लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य का सिलसिला तोड़ते हुए पहली बार पीला तमगा अपने नाम किया । निकहत ने 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थि ताम पर 5-0 से जीत दर्ज कर लाइट फ्लाईवेट खिताब अपने नाम किया। वहीं दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने आस्ट्रेलिया की कैटलिन पारकर को 5 . 2 से मात दी ।
अपनी जीत से बेहद खुश है निकहत
इस जीत से निकहत महान मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (छह बार की विश्व चैम्पियन) के बाद दो बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गयीं। निकहत ने पिछले साल 52 किग्रा वजन वर्ग में खिताब जीता था। उन्होंने कहा- ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि मैं दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनी,विशेषकर ओलंपिक वजन वर्ग में। '' दोनों एशियाई मुक्केबाजों के बीच दिन का शुरूआती मुकाबला रोमांचक रहा। निकहत ने कहा-‘‘आज का मुकाबला मेरे लिये कठिन था, वह एशियाई चैम्पियन है और मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल हैं और मैं उससे भिड़ सकती हूं इसलिये मैं कड़ी मेहनत करूंगी। '' उन्होंने कहा- ‘‘मुकाबले में उसे और मुझे चेतावनी और ‘काउंट' मिली, लेकिन मैं विजेता बनी। ''
निकहत ने देश को दिए कई ऑवार्ड
एक दशक पहले जूनियर विश्व चैम्पियनशिप का खिताब जीतने के बाद निकहत का कंधा बाउट के दौरान उतर गया जिससे उन्हें करीब एक साल तक रिंग से दूर रहना पड़ा था। हालांकि उन्होंने खुद को साबित करने के लिए शानदार वापसी की थी।निकहत ने करियर का पहला मेडल 2010 में नेशनल सब जूनियर मीट में जीता 15 साल की उम्र में उन्होंने देश को इंटरनेशनल गोल्ड मेडल दिलाया था। उन्होंने तुर्की में 2011 महिला जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फ्लाइवेट में स्वर्ण जीता था।
13 साल की उम्र से खेल रही है लवलीना
बतां दें कि लवलीना बोरगोहेन असम के गोलाघाट जिले में पड़ने वाली सरुपथर विधानसभा के छोटे से गांव बरोमुखिया की रहने वाली हैं, उनके गांव की महज 2 हजार की आबादी है। दो बार विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीत चुकीं लवलीना महज 13 साल की उम्र में ही बॉक्सिंग में अपने करियर की शुरूआत कर ली थी। लवलीना और उनकी जुड़वा बहनों (लीचा और लीमा) को किक बॉक्सिंग सीखने के लिए भेजा गया था। दोनों बहनें किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल तक पहुंच गईं, लेकिन उस बीच लवलीना गेम बदलकर बॉक्सिंग रिंग में आ गई थीं। लवलीना की मां ममोनी बोरगोहेन बताती हैं कि अपनी स्कूल के टाइम पर वह हर खेल गतिविधि में हिस्सा लेती थी।
इन बेटियों ने भी देश का नाम किया रोशन
वहीं तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना ने 69 किलो वर्ग में पहली बार स्वर्ण पदक जीता । आखिरी दौर में मुकाबला बराबरी का रहा और रिव्यू में लवलीना को विजयी घोषित किया गया । जीत के बाद उन्होंने कहा- यह फाइनल था तो मैं तनाव में थी लेकिन मैने कोचों के निर्देशों पर अमल किया । मुझे खुशी है कि स्वर्ण जीतकर भारत को गौरवान्वित कर सकी ।''