पिछले कुछ दिनों से जहां कोरोना का कहर थमा हुआ है वहीं कोरोना की तीसरी लहर के भी आने की आशंका जताई जा रही हैं। इतना ही नहीं देश में क कोरोना वायरस के नए वेरिएंट भी सामने आ रहे हैं। जिसे लेकर शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों ने खोजने का दावा किया है।
कोरोना का नया वेरिएंट ऐसे डालता है शरीर पर अपना प्रभाव
एक रिसर्च में वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बदलाव से गुजरता है और एक बार ऐसा हो जाने के बाद, यह अपने इसी परिवर्तन के साथ नए लोगों को संक्रमित कर देता है, इस तरह से नया वेरिएंट्स पैदा होता है। टीम ने पाया कि व्यक्तियों में लगभग 80 प्रतिशत जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद में नया वेरिएंट सामने आता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, समय के साथ आबादी में वायरस की मेजबान variability पर नज़र रखने से उन साइट्स के जरूरी सुराग मिल सकते हैं जोकि कभी फायदेमंद और नुकसादायक भी हो सकते हैं। स्टडी के मुताबिक, ये जानकारी जनसंख्या में फैले वायरस के प्रकार के फैलने और उसकी संक्रामकता की भविष्यवाणी करने के लिए बहुत ही कारगार है। स्टडी का कहना है कि नोवेल कोरोनवायरस जीनोम की इंट्रा-होस्ट परिवर्तनशीलता के साथ संयुक्त विश्लेषण अब अगला कदम होना चाहिए।
स्टडी के अनुसार, शोधकर्ताओं ने महामारी के दो अलग-अलग समय-अवधि पर कोविड -19 रोगियों के सैंपल का विश्लेषण किया, पहले चरण में टीम ने चीन, जर्मनी, मलेशिया, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत की अलग-अलग जनसंख्या से जून 2020 तक इकट्टे किए गए जिसमें 1,347 सैंपल थे, ताकि कोविड-19 रोगियों में जीनोम-वाइड इंट्रा-होस्ट सिंगल न्यूक्लियोटाइड भिन्नता (iSNV) मानचित्र का अनुभव किया जा सके।
रिसर्च में शामिल है ये बडे़ संस्थान
आपकों बतां दें कि इस रिसर्च में हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) सहित कई संस्थान शामिल है जैसे कि इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी), दिल्ली, इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज, भुवनेश्वर, एकेडमी फॉर साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च, गाजियाबाद, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नई दिल्ली और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्ता आदि।