भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना चल रहा है। इस महीने में बहुत से त्योहार मनाए जाते है। इनमें से ही एक है नाग पंचमी का त्योहार जो कल यानि 25 जुलाई को पूरे भारत में मनाया जाएगा। यह त्योहार सावन महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी यानि आधे महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव व पार्वती और नाग- नागिन की पूजा की जाती है। इस दिन खासतौर पर वासुकी नाग, तक्षक नाग, शेषनाग आदि की पूजा होती है। इस पूजा को करने से घर में खुशियां आने के साथ जिन लोगों को कालसर्प का दोष होता है उन्हें उससे मुक्ति मिलती है। तो ऐसे में अगर आप भी नाग पंचमी की पूजा करना चाहते है तो चलिए जानते है इसकी पूजा विधि, महत्व व शुभ मुहूर्त...
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2020 को दोपहर 02:34
नाग पंचमी तिथि समाप्त: 25 अगस्त 2020 को दोपहर 12:02
नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त: 25 जुलाई 2020 को सुबह 05:39 से सुबह 08:22 मिनट तक रहेगा।
पूजा का महत्व
हिंदू धर्म के लोग प्राचीन काल से ही नागों की पूजा करते आए है। ऐसे में नाग पंचमी के शुभ अवसर पर नाग व नागिन की पूजा की जाती है। माना जाता है कि नाग- नागिन भगवान शिव के भक्तों में से एक थे। ऐसे में इस खास दिन पर नाग व नागिन की पूजा के साथ भगवान शिव व माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव का दूध, जल आदि से रुद्राभिषेक कर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। उसके बाद सांपों को दूध से स्न्नान कर उन्हें दूध पिलाना और उनकी पूजा करनी चाहिए। भारत के कई स्थानों पर इस दिन घर के मुख्य द्वार पर नाग की तस्वीर भी लगाई जाती है। इससे घर पर नाग देवता की कृपा बनी रहती है। साथ ही जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
नाग पंचमी पूजा विधि
. सुबह उठ कर घर की सफाई करने के बाद स्न्नान करें।
. प्रसाद के लिए सेविया और चावल तैयार करें।
. अब एक लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर नागदेवता की प्रतिमा को स्थापित करें।
. फिर दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से पंचामृत तैयार कर नाग की प्रतिमा को स्नान करवाए।
. उसके बाद प्रतिमा को जल, फूल, फल और चंदन लगाकर पूजा व आरती करें।
. फिर सेविया, चावल, लड्डू और खीर का भोग लगाए।
मान्यता है कि इस खास दिन पर नागों को दूध पिलाने और उनकी पूजा करने से नागदेवता खुश होते है। साथ ही घर में मौजूद नेगेटिविटी दूर हो जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही कालसर्प का दोष दूर होता है।