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मोक्षदा एकादशी 2024: पापों के नाश और जीवन में सुख-शांति लाने वाला पवित्र व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 02 Dec, 2024 04:02 PM
मोक्षदा एकादशी 2024: पापों के नाश और जीवन में सुख-शांति लाने वाला पवित्र व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व!

नारी डेस्क: मोक्षदा एकादशी, हिंदू धर्म में मोक्ष प्रदान करने वाला अत्यंत पवित्र व्रत माना गया है। यह व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है, जो पापों का नाश करने के साथ-साथ जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। साथ ही इस व्रत का फल पितरों के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

मोक्षदा एकादशी 2024 तिथि और समय

तिथि आरंभ: 11 दिसंबर 2024, सुबह 03:42 बजे
तिथि समाप्त: 12 दिसंबर 2024, सुबह 01:09 बजे

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व्रत पारण का समय

पारण समय: 12 दिसंबर 2024, सुबह 07:05 बजे से 09:09 बजे तक
पारण तिथि समाप्ति: रात 10:26 बजे

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह व्रत मोक्ष, यानी जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और साधक भवसागर को पार कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। जीवन के कष्टों और दुखों को दूर करने में यह व्रत सहायक है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है, जो भगवद्गीता के उपदेशों का स्मरण कर आत्मा के शुद्धिकरण और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।

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व्रत और पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।

व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें या निराहार रहें। गीता पाठ करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें। संकल्प लें कि पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए व्रत कर रहे हैं। मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का विशेष संबंध। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। यह दिन न केवल भक्ति और साधना के लिए, बल्कि गीता के उपदेशों के माध्यम से अपने जीवन को सुधारने और मोक्ष का मार्ग प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

मोक्षदा एकादशी 2024, मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक अहम अवसर है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से न केवल जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि साधक को ईश्वर के करीब आने और मोक्ष प्राप्त करने का अवसर भी मिलता है।


 

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