जहां एक तरफ वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है वहीं नए स्ट्रेन के कारण कोरोना संक्रमितों मरीजों की संख्या बढ़कर 145 के पार हो गई है। इसी बीच कोरोना के नए-नए लक्षण सामने आ रहे हैं, जिसकी जानकारी खुद केंद्र मंत्रालय द्वारा शेयर की गई है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने कोरोना के सबसे सटीक लक्षण का पता लगाया है, जो है सूंघने की शक्तिन खत्म हो जाना।
कोरोना का सबसे पॉवरफुल लक्षण
शोध के अनुसार, कोरोना मरीजों में सूंघने की शक्ति खत्म होना कोरोना का पक्का लक्षण माना जा रहा है। 23 देशों के 4,500 से अधिक कोरोना मरीजों पर किए गए अध्ययन के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। मरीजों में सूंघने की शक्ति खत्म होना 0-100 के पैमाने पर 79.7 था, जो कोरोना में सबसे बड़े संवेदी नुकसान को दर्शाता है।
रिकवरी के बाद भी लंबे समय तक रहती है परेशानी
शोध में सामने आया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीजों की सूंघने की शक्ति काम नहीं कर रही। कुछ मरीजों को तो बेवजह मछली की तेज गंध और सल्फर की गंध महसूस होने लगी है। वहीं, कुछ मरीजों को किसी बीमारी की दुर्गंध भी आ रही है। मेडिकल भाषा में इस असामान्य साइड-इफेक्ट को पेरोस्मिया कहा जाता है, जिसकी वजह से लोगों की सूंघने की क्षमता चली जाती है।
कोरोना के मरीजों को स्वाद का नुकसान
यही नहीं, कोरोना के कारण मरीजों के स्वाद का भी नुकसान हुआ। अब नुकसान यह है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा, क्या खाएं और क्या नहीं। स्वाद व गंध के कारण इस चीज का पता लगाना मुश्किल है। कुछ लोग तो रिकवरी के बाद भ्रम, नींद ना आना और सुनने में परेशानी जैसी समस्याएं भी झेल रहे हैं।
सामने आया कोरोना के नए लक्षण
दूसरी तरफ कोरोना के कुछ मरीजों की जीभ पर सफेद चकत्ते पड़ रहे हैं, जिसे कोविड-टंग कहा जा रहा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हर 5 में से एक व्यक्ति में यह नया लक्षण दिखाई दे रहा है।
मरीजों को दी जा रही स्मेल थेरेपी
खबरों के मुताबिक ऐसे मरीजों को स्मेल थेरेपी के जरिए ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। इस थेरेपी के जरिए मरीजों को कम से कम 20 सेकेंड तक लौंग, नींबू, गुलाब और नीलगिरी तेल सुंघाया जाता है। इससे उनके स्वाद और गंध सूंघने की क्षमता वापिस लाने में मदद मिलती है।
कोरोना से रिकवरी के 140 दिनों के अंदर हो रही मौत
एक अध्ययन के मुताबिक, कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों की मुसीबतें कम नहीं हो रही है। डिस्चार्ज किए गए रोगियों में से 29.4% फिर से किसी ना किसी बीमारी के घेरे में आ गए हैं। यही नहीं, 12.3% मरीजों की मौत हो गई। बता दें कि इस अध्ययन के लिए करीब 47,780 डिस्चार्ज हो चुके कोरोना मरीजों का अवलोकन किया गया है।