देशभर में गणेश उत्सव का पावन पर्व चल रहा है। इस दौरान लोग अपने-अपने घर में बप्पा को घर में लाते हैं। इस पर्व पर बप्पा की मूर्ति को 5, 7 या अनंत चतुर्दशी तक घर में स्थापित किया जाता है। लोग भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। साथ ही अलग-अलग पकवानों का भोग लगाते हैं। फिर अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति देव का विसर्जन किया जाता है। मगर बप्पा की स्थापना की तरह विसर्जन का भी विशेष महत्व व विधि होती है। ऐसे में आज हम आपको विसर्जन से जुड़ी खास बातें बताते हैं।
इसलिए किया जाता है विसर्जन
विसर्जन का शाब्दिक अर्थ है जल में विलीन होना। हम जानते हैं कि प्रकृति भी 5 तत्वों से मिलकर बनी है। इनमें से जल भी इन 5 तत्वों में शामिल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी देवी-देवताओं को कुछ खास समय के लिए घर पर विराजित करने पर उन्हें सम्मानपूर्वक वापस भी भेजना होता है। इसके लिए प्रकृति की गोद यानि जल में उन्हें विसर्जित किया जाता है। ऐसे में गणेश उत्सव के बाद हम उनकी पूजा करके सम्मानपूर्वक बप्पा को उनके धाम भेजने का आग्रह करते है। साथ ही अगली बार यानि साल फिर से आने व घर पर विराजमान होने का निमंत्रण भी देते हैं। मगर मान्यताओं के अनुसार विसर्जन के कुछ खास नियम होते हैं। ऐसे में उनका पालन करना बेहद ही जरूरी होता है। इससे पूजा का पूरा फल मिलता हैै।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त:
सुबह 07:40 से 12:15, 19 सितंबर 2021
दोपहर 01:46 से 03:18, 19 सितंबर 2021
शाम 06:21 से 10:46, 19 सितंबर 2021
रात्रि मुहूर्त 01:43 से 03:12, 20 सितम्बर 2021
उषाकाल मुहूर्त सुबह 04:40 से 06:08, 20 सितम्बर 2021
चतुर्दशी तिथि आरंभ 19 सितम्बर 2021, सुबह 05:59 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त 20 सितम्बर 2021, सुबह 05:28 बजे तक
चलिए जानते हैं विसर्जन की विधि
. सबसे पहले लकड़ी का आसन या पाटे को लेकर धो लें। इसपर गंगाजल छिड़कर साफ कपड़े से पोंछ लें। अब इसपर स्वास्तिक बना लें। इसके बाद पाटे के ऊपर चावल रखें। अब इसपर पीले या गुलाबी रंग का कपड़ा बिछा दें।
. अब बप्पा की मूर्ति को उठाकर जयकारे लगाते हुए पाटे पर रखें। गणपति बप्पा को तिलक लगाएं। अक्षत, वस्त्र, फूल, दूर्वा, फल, मिठाई आदि चढ़ाकर पूजा करें।
. बप्पा के मंत्रों का जप करके आरती गाएं।
. एक रेशमी कपड़े में मिठाई, दूर्वा घास, दक्षिण और सुपारी बांधकर एक पोटली बनाएं। अब इस पोटली को बप्पा के साथ ही बांध दें। अब गणेश जी से प्रार्थना करके अपनी गलतियों की क्षमायाचना करें। बप्पा के अपने दुख, परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करें।
. इसके बाद गणेश जी को पाटे समेत उठाएं और जयकारे लगाते हुए बप्पा को भ्रमण कराएं। फिर उन्हें पूरे मान-सम्मान के साथ विसर्जित करें।
. इसके साथ ही बप्पा की पूजा दौरान इस्तेमाल हुई चीजों को भी विसर्जित कर दें।