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Makar Sankranti: खिचड़ी के बिना अधूरा यह पर्व, जानिए महत्व और आसान रेसिपी

  • Edited By neetu,
  • Updated: 11 Jan, 2022 11:47 AM
Makar Sankranti: खिचड़ी के बिना अधूरा यह पर्व, जानिए महत्व और आसान रेसिपी

मकर संक्रांति का त्योहार लोहड़ी के अगले दिन मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्न्नान, दान आदि करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस खास पर्व पर काली उड़द की दाल और चावल की खिचड़ी का दान व सेवन करना शुभ माना जाता है। इसलिए कई जगहों पर मकर संक्रांति के त्योहार को खिचड़ी भी कहा जाता है। मान्यता है कि खिचड़ी खाने व दान करने से सूर्यदेव और शनिदेव दोनों की कृपा मिलती है। चलिए जानते हैं खिचड़ी से जुड़ी प्रचलित कथा व इसे बनाने की रेसिपी...

जानिए प्रचलित कथा

धार्मिक मान्यताओं अनुसार, मकर संक्रान्ति के शुभ पर्व पर खिचड़ी बनाने की परंपराबाबा गोरखनाथ के समय से प्रचलित है। कहा जाता है कि जिस समय
खिलजी ने आक्रमण किया था उस दौरान नाथ योगियों को युद्ध के बीच भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इसके कारण वे भूखे पेट ही युद्ध के लिए चले जाते थे। फिर उस समय बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को एक साथ पकाने को कहा। ये (खिचड़ी) जल्दी से तैयार होने वाली डिश थी। इससे योगियों का पेट भी अच्छे से भर जाता था। इसके साथ ही सब्जियों अन्य अन्य चीजों से बनी खिचड़ी पोषक तत्वों से भरपूर होने से सेहत के लिए फायदेमंद थी।

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बाबा गोरखनाथ ने दिया खिचड़ी नाम

बताया जाता है कि दाल, चावल और सब्जियों से बनने वाले इस व्यंजन को बाबा गोरखनाथ ने ही खिचड़ी नाम दिया। युद्ध के बाद यानि खिलजी से मुक्त होकर मकर संक्रान्ति के दिन योगियों ने उत्सव मनाते हुए उस दिन खिचड़ी बनाई और इसका वितरण किया। उसी दिन से ​मकर संक्रान्ति पर खिचड़ी बनाने की प्रथा शुरु हो गई। हर साल इस शुभ अवसर पर गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला भी लगता है। इस दौरान बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाकर इसे प्रसाद रूप में बांटा जाता है।

खिचड़ी से जुड़ा धार्मिक महत्व

ज्योतिषशास्त्र अनुसार, मकर संक्रान्ति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। उदड़ दाल का संबंध शनिदेव से माना जाता है। इसलिए इस दिन उड़द दाल से बनी खिचड़ी खाने की परंपरा है। मान्यता है कि इसका सेवन करने से सूर्यदेव और शनिदेव दोनों की असीम कृपा बरसती है। इसके साथ ही खिचड़ी में डालें चावल का संबंध चंद्रमा, नमक का शुक्र से, हल्दी का गुरु बृहस्पति और हरी सब्जियों को बुध का कारक माना जाता है। इसके अलावा खिचड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल ग्रह से माना गया है। इसलि मकर संक्रांति के खास पर्व पर खिचड़ी खाने से कुंडली के सभी ग्रहों की स्थिति में सुधार आता है।

चलिए अब जानते हैं खिचड़ी बनाने की रेसिपी...

 

सामग्री

चावल- 2 कप
उड़द की दाल- 2 कप
मटर- 1 कप
सब्जियां- 1 कप (कटी हुई)
आलू- 2 छोटे (कटे हुए)
टमाटर- 2 छोटे (कटे हुए)
हल्दी पाउडर- 1 छोटा चम्मच
हींग- चुटकीभर
जीरा- 2 छोटे चम्मच
नमक- स्वाद अनुसार
चम्मच घी- जरूरत अनुसार
गरम मसाला- 1 छोटा चम्मच

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विधि

. सबसे पहले दाल और चावल को साफ करके धो लें।
. मीडियम आंच में प्रेशर कुकर में घी को गर्म करके जीरे का तड़का लगाएं.
. अब इसमें हल्दी और हींग डालकर 1 मिनट भूनें।
. फिर इसमें मटर, आलू, सब्जियां, टमाटर डालकर 3-4 मिनट तक भूनें।
. अब इसमें दाल, चावल, 3 कप पानी, गरम मसाला और नमक डालकर ढक्कन बंद करके  3-4 सीटियां लगवाएं।
. कुकर का प्रेशर खत्म होने पर ढक्कन खोलकर सारा प्रेशर निकाल दें।
. तैयार खिचड़ी को सर्विंग प्लेट में निकालकर दही, अचार, चटनी या रायते के साथ सर्व करें।

 

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