टोक्यो ओलंपिक में भारत की बेटियों का जलवा लगातार बरकरार है। आज टोक्यों ओलंपिक का 9वां दिन है। वहीं आज भारत की डिस्कस थ्रो एथलीट कमलप्रीत कौर अपने शानदार प्रदर्शन के बाद फाइनल में पहुंच गई है। आपकों बता दें कि जितना इतना आसान नहीं होता जितना दर्शकों को देखने में लगता है ओलंपिक तक पहुंच पाना भी एक खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात होती हैं। वहीं यहां तक पहुंचने के लिए हर खिलाड़ी को कड़ी से कड़े मेहनत करनी पड़ती हैं जिसके बाद ओलंपिक में अपना प्रदर्शन करने का मौका मिलता है।
ओलंपिक से पहले कमलप्रीत को डिप्रेशन जैसी बीमारी से जुझना पड़ा
आपकों बता दें कि इसी तरह भारत के पंजाब की रहने वाली एथलीट कमलप्रीत कौर भी कई सारी शारीरिक परेशानियों के बाद आज ओलंपिक के फाइनल में पहुंची है। कोविड-19 लॉकडाउन ने डिस्क थ्रो एथलीट कमलप्रीत कौर के मानसिक स्वास्थ्य पर इतना असर डाला था कि उन्होंने डिप्रेशन जैसी बीमारी से जुझना पड़ा। लेकिन डिस्कस थ्रो हमेशा उनका पहला प्यार बना रहा और जिसका नतीजा यह है कि अब वह भारत को ओलंपिक खेलों में ऐतिहासिक एथलेटिक्स पदक दिलाने से एक कदम की दूरी पर खड़ी हैं।
उन्होंने शनिवार को 64 मीटर दूर चक्का फेंक कर दो अगस्त को होने वाले फाइनल के लिये क्वालीफाई किया।
कौन है कमलप्रीत कौर
कमलप्रीत कौर पंजाब में मुक्तसर के काबरवाला गांव की रहने वाली है उनका परिवार किसान हुआ। पिछले साल के अंत में वह काफी निराश थी क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण उन्हें किसी टूर्नामेंट में खेलने को नहीं मिल रहा था। ऐसे में वह अवसाद महसूस करने लगी थीं जिससे उन्होंने अपने गांव में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।
कमलप्रीत कौर की कोच राखी त्यागी ने बताया कि उनके गांव के पास बादल में एक साई केंद्र है और हम 2014 से पिछले साल तक वहीं ट्रेनिंग कर रहे थे। कोविड-19 के कारण सबकुछ बंद होने के चलते वह डिप्रेशन से जुझने लगी। ओलंपिक में भाग लेने के लिए वह बेचैन थी और यह सच है कि उसने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, लेकिन यह किसी टूर्नामेंट के लिये या पेशेवर क्रिकेटर बनने के लिये नहीं था बल्कि वह बीमारी से बाहर निकलने के लिए अपने गांव के मैदान में क्रिकेट खेलती थी।
कोच का दावा, पदक दिला सकती है कमलप्रीत कौर
कोच राखी त्यागी ने कहा कि अगर कमल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे तो इस बार पदक जीत सकती है। उन्होंने कहा कि मैं उससे हर रोज बात करती हूं, वह आज थोड़ी नर्वस थी क्योंकि यह उसका पहला ओलंपिक था और मैं भी उसके साथ नहीं थी। मैंने उससे कहा कि कोई दबाव नहीं ले, बस अपना सर्वश्रेष्ठ करो। मुझे लगता है कि 66 या 67 मीटर उसे और देश को एथलेटिक्स का पदक दिला सकता है।
कमलप्रीत कौर के रिकॉर्ड
बतां दें कि रेलवे की कर्मचारी कमलप्रीत कौर ने मार्च में फेडरेशन कप में 65.06 मीटर चक्का फेंककर राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा था और वह 65 मीटर डिस्कस थ्रो फेंकने वाली पहली भारतीय महिला बन गयी थी। जून में उन्होंने इंडियन ग्रां प्री 4 में 66.59 मीटर के थ्रो से अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड सुधारा और दुनिया की छठे नंबर की खिलाड़ी बनी।
ऐसे शुरू हुआ एथलेटिक्स का सफर
परिवार की आर्थिक समस्याओं और अपनी मां के विरोध के बावजूद कमल ने एथलेटिक्स में जाना चाहा। अपने किसान पिता कुलदीप सिंह के सहयोग से उन्होंने इसमें खेलना शुरू किया। गांव बादल में कौर के स्कूल की खेल शिक्षिका ने एथलेटिक्स से रूबरू कराया जिसके बाद वह 2011-12 में क्षेत्रीय और जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने 2013 में अंडर-18 राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और दूसरे स्थान पर रहीं। 2014 में बादल में साइ केंद्र से जुड़ी और अगले साल राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियन बन गयीं। वर्ष 2016 में उन्होंने अपना पहला सीनियर राष्ट्रीय खिताब जीता।