भारतीय घरों में रिवाज के मुताबिक बच्चे को शहद चखाना शुभ माना जाता है। कुछ लोग बच्चे का नाम रखते वक्त ऐसा करना शुभ मानते हैं। आयुर्वेद में शहद के कई फायदे बताए जा चुके हैं, मगर इसकी तासीर थोड़ी गर्म होने के कारण जरुरत से ज्यादा इसका सेवन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि छोटे शिशुओं के लिए शहद का सेवन फायदेमंद है या नहीं? आइए जानते हैं..
शहद का बैक्टीरिया
शहद में क्लॉसट्रीडियम नाम का एक बैक्टीरिया पाया जाता है, जिसे सहन करने की क्षमता केवल बड़े लोगों में ही होती है। इस बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता अभी बच्चे में विकसित नहीं होती, जिस वजह से बच्चे के लिए शहद को हजम करना मुश्किल हो जाता है।
क्या-क्या हो सकते हैं नुकसान?
-शहद में मौजूद यह बैक्टीरिया बच्चे का पाचन तंत्र कमजोर कर सकता है।
-बच्चा इससे इंफैंट बॉट्यूलिज्म (Infant Botulism) नामक बीमारी का शिकार हो सकता है। Infant Botulism के कारण बच्चे में मसल वीकनेस और सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
-इस बैक्टीरिया के चलते बच्चा मां का दूध पीने से मना कर सकता है या फिर दूध पीने के बावजूद उसे हजम नहीं होता।
कब देना चाहिए शहद?
डॉक्टर्स की मानें तो 6 महीने तक बच्चे को मां के दूध के अलावा और किसी चीज की जरुरत नहीं होती। मां के दूध में बच्चे के लिए सभी जरुरी तत्व मौजूद होते हैं, जो उसे स्वस्थ, बीमारियों से लड़ने और उसे इम्यून सिस्टम को हेल्दी बनाने में उसकी मदद करते हैं। 1 साल के बाद अब जब चाहें बच्चे को शहद दे सकते हैं, क्योंकि इस दौरान बच्चे का अंदरुनी विकास पूर्ण तौर पर हो चुका होता है, वह किसी भी हल्की-भारी चीज को आसानी से हजम कर सकता है। बच्चे के जन्म के वक्त भी अगर आप 1 चुटकी शहद बच्चे को चटा देंगे तो इसमें कोई गलत बात नहीं होगी, मगर इसके अलावा 6 महीने से पहले कम से कम बच्चे को शहद देने की गलती न करें।
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