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कार की ओवरस्पीड, एयरबैग ना खुलना... इन कारणों से गई उद्योगपति साइरस मिस्त्री की जान

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 05 Sep, 2022 10:10 AM
कार की ओवरस्पीड, एयरबैग ना खुलना... इन कारणों से गई उद्योगपति साइरस मिस्त्री की जान

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की कार दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई। यह दुर्घटना उस वक्त हुई जब मिस्त्री की लग्जरी कार मुंबई से सटे पालघर जिले में एक डिवाइडर से टकरा गई।  देखते ही देखते कार में सवार चार लोगों में से दो की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और कार को  ड्राइव कर रही  महिला डॉक्टर अनायता पंडोले ने  सीट बेल्ट नहीं पहली थी और स्पीड बहुत तेज थी। 


महिला डॉक्टर चला रही थी कार

पुलिस के मुताबिक दुर्घटना अपराह्न लगभग 3.15 बजे हुई। मिस्त्री अहमदाबाद से मुंबई की तरफ जा रहे थे। यह हादसा सूर्या नदी पर बने पुल पर हुआ। इस हादसे में मिस्त्री और जहांगीर पंडोले नामक एक अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो गयी, वहीं जानीमानी स्त्रीरोग विशेषज्ञ अनाहिता पंडोले (55) और उनके पति डेरियस पंडोले (60) की जान बच गयी। जहांगीर के भाई डेरियस टाटा समूह के पूर्व स्वतंत्र निदेशक थे, जिन्होंने चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटाये जाने का विरोध किया था।

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डिवाइडर से टकराई कार 

एक चश्मदीद के मुताबिक ‘‘कार एक महिला चला रही थी, जिसने बायीं तरफ से दूसरी गाड़ी से आगे निकलने की कोशिश की, लेकिन नियंत्रण खोकर कार सड़क पर डिवाइडर से टकरा गयी।’’सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने पर पुलिस ने पाया कि कार दोपहर करीब 2.21 बजे चौकी से गुजरी थी और दुर्घटना (मुंबई की दिशा में) 20 किलोमीटर आगे (ढाई बजे) हुई।’’कार चलाने वाली अनाहिता पंडोले महिला रोग विशेषज्ञ है और वह मुंबई के ब्रीच कैन्डी अस्पताल में काम करती हैं। 

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मौके पर नहीं खुले एयरबैग

पुलिस की मानें तो कार में ड्राइवर सीट पर अनाहिता पंडोले थीं। फ्रंट में को-पैसेंजर सीट पर उनके पति दारियस पंडोले बैठे थे। डिवाइडर से टकराने के बाद कार की फ्रंट सीट पर लगे दोनों एयरबैग एक्टिव हो गए, और दोनों लोगों की जान बच गई।  जबकि बैक सीट पर बैठे साइरस मिस्त्री और जहांगीर दिनशॉ पंडोले की सीट पर एयरबैग लगे थे,  लेकिन वह मौके पर नहीं खुल पाए। माना जा रहा है उनकी मौत का एक बड़ा कारण एयरबैग का नहीं खुलना भी है। 

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चार साल तक मिस्त्री ने टाटा की संभाली भागदौड़

जन्म से आयरिश नागरिक और शापूरजी पलोनजी समूह के उत्तराधिकारी मिस्त्री वर्ष 2012 में जब 44 साल की उम्र में टाटा संस के चेयरमैन बनाए गए तो वह शापूरजी पलोनजी ग्रुप की कंपनियों की अगुवाई कर रहे थे। इतनी कम उम्र में उन्होंने 100 अरब डॉलर से अधिक कारोबार वाले टाटा समूह के मुखिया के तौर पर रतन टाटा जैसे दिग्गज की जगह ली थी। टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर वह चार साल तक पद पर रहे और अक्टूबर 2016 में उन्हें अचानक ही पद से हटा दिया गया। अंदरूनी मतभेदों के बाद न सिर्फ मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया, बल्कि खुद रतन टाटा ने कुछ समय के लिए इसकी कमान संभाली। बाद में एन चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन बना दिया गया।

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साइरस मिस्त्री की मौत पर सदमे में लोग

'बॉम्बे हाउस के फैंटम' कहे जाने वाले शापूरजी पलोनजी मिस्त्री भी उस समय अपने बेटे साइरस की मदद नहीं कर पाए थे। साइरस ने टाटा संस के निदेशक मंडल पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन इस मामले ने उस समय तीखा मोड़ ले लिया, जब साइरस मिस्त्री ने चेयरमैन पद से अपनी बर्खास्तगी को अदालत में चुनौती दी। उनका कहना था कि टाटा संस का निदेशक मंडल कुछ महीने पहले तक उनके काम की तारीफ कर रहा था, लिहाजा उन्हें अचानक हटाए जाने के कारण बताए जाएं। उन्हें अचानक हटाये जाने के पीछे के कारण स्पष्ट रूप से अभी तक सामने नहीं आये हैं। साइरस मिस्त्री की मौत उनके प्रभावशाली परिवार के लिए कुछ महीने के भीतर ही दूसरा बड़ा झटका है। उनके पिता और दिग्गज उद्योगपति शापूरजी पलोनजी शापूरजी का करीब दो महीने पहले ही निधन हो गया था।


 

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