आपने बॉलीवुड की फिल्म 'जजंतरम- ममंतरम' तो देखी ही होगी, जिसमें हीरो गलती से एक ऐसे गांव में पहुंच जाता है जहां सब का कद छोटा होता है यानी कि सब बौने होते हैं। तो हम आपको बता दें कि ऐसे एक जगह सच में ही है और ये अपने भारत में ही है। भारत के असम के अमार गांव के सारे लोग बौने हैं।
किसी भी शख्स की ऊंचाई नहीं साढ़े तीन फीट से ज्यादा
भूटान सीमा से कोई तीन-चार किलोमीटर पहले अमार नाम के इस गांव में 70 लोग रहते है। इस गांव में किसी भी शख्स की ऊंचाई साढ़े तीन फीट से ज्यादा नहीं है। यहां कोई अपनी इच्छा से रहने आया है तो किसी को उसी के परिवार वाले यहां छोड़कर गए हैं। अमार गांव के कद भले ही छोटा है लेकिन इनके इरादे पहाड़ जितने ऊचें हैं।
खेतीबाड़ी करके भरते हैं पेट
यहां पर ये लोग खेतीबाड़ी करते हैं और शाम होते ही रंगमंच के कलाकर के तौर पर नजर आने लगते है और नाटक में भी भाग लेते हैं। ये गांव भारत में भी हो के पूरी दुनिया से अलग है। आसपास के गांव के लोग जब यहां पर छोटे कद की इस नाटक मंडली के नाटक देखकर अनकी जमकर तारीफ करते हैं। ये पूरा गांव में दो मंजिला लकड़ी के घर हैं, जिसमें ये लोग रहते हैं।
पबित्र राभा ने बसाया ये गांव
इस गांव को बसाने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। कहा जाता है कि अमार गांव को 2011 में बौनों के सरदार पबित्र राभा ने बसाया था। राभा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकले रंगमंच कलाकार हैं। यह वही संस्थान है जिसनें ओमपुरी, इरफान खान, नवाजुद्दीव सिद्दीकी जैसे न जाने कितने मंझे कलाकार बॉलीवुड को दिए हैं।
पबित्र राभा ने एनएसडी से निकलने के बाद रंगमंच को बढ़ावा देने की सोची और उन्होंने इन छोटे कद के लोगों को कलाकार बनाने की ठानी। शुरुआत में स्थानीय लोगों ने राभा और इन सभी लोगों का मजाक उड़ाया। किसी ने बौनों का देश कहा, तो किसी ने बौनों की मंडली, लेकिन राभा ने इन लोगों का हौसला बढ़ाया और उन्हें मंझा हुआ कलाकार बनाया।