कोरोना की जंग जीतना काम नहीं है। लेकिन 2008 बैच की भारतीय महिला आईएएस रूबल अग्रवाल ने तो अपने कंट्रोल से पुणे की हालत ही ठीक करदी है। उन्होंने स्वयं नगर की रक्षा करने का जिम्मा उठाया। उनके आने से कोरोना के 1,890 मरीजों की हालत में सुधार आया है। आपको बतादें कि वह 'पुणे स्मार्ट सिटी डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड' की मैन अफसर भी है।
क्या करती है इनकी कंपनी ?
-शहर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों, कोरोना से होने वाली मौत और इस बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या पर नजर रखता है।
-जानकारी रखने से इनके पास स्टैट्स होते है जो मरीजों को ठीक करने के लिए रणनीति साबित हो सकती है।
-मई तक बुरे हालत थे पुणे के मगर अब 1,890 लोग ठीक हो गए हैं।
-वहीं पुणे में कोरोना के मरीज 2 हजार से ज्यादा है।
क्या कहना है रूबल अग्रवाल का ?
उनका कहना है कि 'पुणे नगरपालिका के 15,000 कर्मचारी आगे आकर काम कर रहे हैं, पुणे की मेडिकल सेवाओं, इंजीनियर्स और क्लर्क के अलावा नगरपालिका के 42 विभाग अन्य सेवाएं देने के लिए लगातार काम कर रहे है।' पुणे नगरपालिका ने एक कमांड कंट्रोल वॉर रूम की स्थापना की है।उन्होंने कहा कि 'इस कमरे का मुख्य तौर पर इस्तेमाल उन इलाकों की निगरानी करने के लिए किया जाता है जहां कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। '
कितनी मेहनत करते है रूबल की टीम ?
-उनकी टीम उनक इलाकों पर ही ज्यादा काम करते है जहां कोरोना के केसेस ज्यादा है।
-टेस्टिंग और सर्वे वो लोग करते रहते है।
-रूबल और उनकी टीम दिन के 14-18 घंटे काम करते है।
सतर्कता का रखते है ख्याल
-इसलिए अभी पुणें में कुल 17,000 कोरोना के लिए बिस्तर है।
-मास्क, दस्ताने और पीपीई किट जरूरी