कई बार बच्चों के पढ़ाई-लिखाई न करने पर मां-बाप उन्हें डांट लगाते हैं तो कई बार ज्यादा गुस्से में आकर हाथ भी उठा देते हैं। मगर क्या बच्चों को पढ़ाने का यह तरीका सही है? ऐसे बहुत कम बच्चे हैं जो डांट-फटकार लगाने के बाद पढ़ने लगते हैं। उनमें से ज्यादातर बच्चे जिद्द में आकर कई बार पढ़ना लिखना बिल्कुल छोड़ देते हैं। ऐसे में जरुरी है बच्चों को डांट-फटकार लगाकर पढ़ाने की बजाय उन्हें प्यार से समजाकर पढ़ाया जाए। कई बार बच्चे का पढ़ने का दिल तो होता है मगर किसी कारणवश उसे सिखाई जाने वाली बातें समझ नहीं आती। ऐसे में जरुरी है कुछ खास टिप्स अपनाकर बच्चे को पढ़ाया जाए। ताकि वह अपने जीवन के इस खास मौके का भरपूर आनंद उठा सकें...
धैर्य से समझें बच्चे की बात
बच्चे हर बात की गहराई में जाने के बाद ही उसे समझ पाते हैं। ऐसे में बच्चे को पढ़ाते वक्त पूरे धीरज से काम लें। उसके एक-एक सवाल को समझकर बहुत प्यार से उसे समझाएं। बच्चे की शरारतों और न समझ आने वाली बातों के बीच फर्क समझना सीखें।
टाइम शैड्यूल करें सैट
बच्चा अपनी पढ़ाई को लेकर तनाव में न आए, ऐसे में उसकी रुटीन सैट करें। बच्चे को हमेशा सही टाइम पर पढ़ना, ब्रेक लेना और सोना सिखाएं। याद रखें बच्चे के लिए छोटी-छोटी ब्रेक लेना बहुत जरुरी है। इससे एक तो उसका मानसिक विकास होगा साथ ही वह नई चीजों को बहुत जल्द और आसानी से सीख पाएगा।
बच्चे का लर्निंग स्टाइल जानें
आपका बच्चा किस बात को कैसा समझता है इस बारे में आपको जानकारी होना जरुरी है। अपने बच्चे का लर्निंग स्टाइल यानि वो सुनकर किसी चीज को ज्यादा समझता है या फिर पढ़कर, इस बारे में आपको जरुर पता होना चाहिए। बच्चे का स्टाइल जान लेने के बाद उसे उसी के हिसाब से पढ़ाएं, ऐसा करने से बच्चा पढ़ाई करते वक्त बोर नहीं होगा।
निराश होने की बजाय उसे प्रेरित करें
अगर बच्चा देरी से बात समझता है तो निराश होने की बजाय उसकी बात सुनें। गुस्सा करने की बजाय उसके न समझ पाने की वजह जानें। हो सकता आपके समझाने के तरीके में कुछ कमी हो।
बच्चों वाली भाषा इस्तेमाल करें
बच्चों की भाषा बहुत प्यारी होती है। बच्चे गुस्से में बात करें तो उनका कोई बुरा नहीं मानता। ऐसे में बच्चों के साथ उन्हीं की भाषा में बात करें। इससे वो आपके अच्छे दोस्त बनेंगे साथ ही आपकी बात को भी जल्द समझ पाएंगे।
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