हर साल 16 अक्टूबर के दिन विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग इस दवा को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो। एनेस्थीसिया या एनेस्थेटिक्स का डोज सर्जरी या ऑपरेशन के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए दिया जाता है। इस डोज से शरीर को वो हिस्सा सुन्न हो जाता है, जिससे दर्द महसूस नहीं होता। मगर, सवाल यह है कि एनेस्थीसिया डोज बच्चों के लिए कितनी सही है?
क्या है एक्सपर्ट की राय?
एक्सपर्ट की मानें तो एनेस्थीसिया डोज बच्चों के व्यवहार और अक्षमताओं का खतरा बढ़ाती है। वहीं इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है लेकिन ऐसा उन्हीं बच्चों के साथ होता है, जो बार-बार इसके संपर्क में आते हैं।
बच्चों पर कैसे पड़ता है बुरा असर?
एक शोध के मुताबिक, इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। शोध में करीब 2, 900 बच्चों को शामिल किया गया था, जिसमें 10 साल के बच्चों में भाषा सीखने, सोच और याददाश्त बेहतर की क्षमता थी। वहीं, जिन बच्चों को 3 साल से पहले डोज दी गई थी उनमें मानसिक समस्याएं जैसे कमजोर याददाश्त, कम सोचने की क्षमता और भाषा बोलने व समझने में परेशानी आई।
कितने प्रकार के होते हैं एनेस्थीसिया
लोकल एनेस्थीसिया: शरीर के किसी एक छोटे हिस्से में चोट लगने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।
रिजनल एनेस्थीसिया: शरीर के बड़े हिस्से में हो रहे दर्द को रोकने के लिए यह डोज यूज होती है, जैसे छाती के नीचले हिस्से में दर्द होना।
जनरल एनेस्थीसिया: इससे रोगी का दर्द और अन्य उत्तेजनाओं को कम करने के लिए यूज किया जाता है। यह डोज ज्यादातर सिर, पेट की सर्जरी में यूज होती है।
कौन देता है एनेस्थीसिया का डोज?
बच्चों हो या बड़े, चिकित्सक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट द्वारा यह डोज हर तरह की सर्जरी में दिया जाता है, जिसमें दांत निकालने से लेकर बड़ी सर्जरी शामिल है। इससे सर्जरी वाला हिस्सा सुन्न हो जाता है और दर्द महसूस नहीं होता। हालांकि डॉक्टर इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि बच्चे को किस मात्रा का डोज दें, जिससे उन्हें कोई नुकसान ना हो।