बच्चेदानी की रसौलियां सुनने में बहुत आम हो गई है लेकिन ये महिला के शरीर में पीरियड्स-प्रैगनेंसी जैसी कई परेशानियां पैदा कर देती हैं। बच्चेदानी में गांठें बन जाती है। डॉक्टरी भाषा में इसे फायब्रॉइड्स भी कहा जाता है जो कि गर्भाश्य में होने वाले ट्यूमर्स हैं। आज हर 5 में 1 महिला को ये समस्या है। पहले ये समस्या 30 से 40 की उम्र में होती थी लेकिन अब टीनएज लड़कियों को भी रसौलियां होने लगी है। ये क्यों होती हैं इसकी स्पष्ट वजह अभी पता नहीं चल सकी है लेकिन ओवरवेट और मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को ये समस्या अधिक होती है। वहीं ये समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी भी आगे बढ़ सकती है।
फाइब्रायड होने के लक्षण की बात करें तो
अगर महिला को पीरियड्स रूक-रूक कर आते हैं।
पेट के नीचे और पीठ में दर्द रहती है।
बार-बार यूरिन पास होता है।
पीरियड्स के समय दर्द रहती है
प्राइवेट पार्ट से बिना पीरियड्स भी खून आता है
पेट में सूजन, कब्ज रहती है तो यह रसौली होने के संकेत हो सकते हैं।
इलाज की बात करें तो यह निर्भर करता है आपकी बच्चेदानी में रसौली का साइज क्या है इसके बाद ही स्थिति को देखते हुए डाक्टर आपको सलाह देंगे। अगर यह दवाइयों से ठीक हो सकती हैं तो दवाइयां दी जाएगी नहीं तो सर्जरी का ऑप्शन भी इसमें रहता है।
बच्चेदानी में रसौली को ठीक करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव भी लाने की जरूरत है जैसे संतुलित आहार और डेली एक्सरसाइज।
संतुलित डाइट में हरी-पत्तेदार सब्जियां, दालें, साबुत अनाज, ड्राई फूट्रस आदि।
रोजाना सुबह कम से कम 30 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। योग जरूर करें जैसे सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, सर्वांगासन आदि।
हर्बल तेल से शरीर की मालिश।
जंक- फास्ट फूड, बाहर का खाना, पैक किए हुए आयली फूड से परहेज करेंं।
खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन करें।
पेट के निचले हिस्से में गुनगुने कैस्टर ऑयल से 15 मिनट पर हलके हाथों से मालिश करें।
गर्म-गुनगुना पानी और करीब 8-10 गिलास पानी का सेवन तो जरूर करें।