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भारत की वेदर वुमेन अन्ना मणि की याद में गूगल ने बनाया डूडल, खास तरीके से दिया सम्मान

  • Edited By palak,
  • Updated: 23 Aug, 2022 01:10 PM
भारत की वेदर वुमेन अन्ना मणि की याद में गूगल ने बनाया डूडल, खास तरीके से दिया सम्मान

गूगल किसी भी खास दिन को अपने डूडल के जरिए प्रदर्शित करता है। एक ही ऐसा ही खास डूडल बनाकर गूगल ने भारत की पहली महिला साइंटिस्ट अन्ना मणि के 104 वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। अन्ना मणि को 'भारत की वेदर वुमन' कहा जाता था। उनका जन्म 23 अगस्त, 1918 में हुआ था। अन्ना मणि ने मौसम का अवलोकन करने वाले उपकरणों के डिजाइन बनाने में बहुत ही अहम योगदान दिया था। यह उपकरण भारत के मौसम के पहलुओं को मापने और उनका पूर्वानुमान लगाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे अन्ना मणि ने मौसम का पूर्वानुमान लगाने में सहायता की थी...

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केरल में हुआ था जन्म

अन्ना मणि का जन्म आज के दिन 1918 में केरल में हुआ था। उन्होंने अपने शुरुआती साल किताबों में ही बिताए थे। 12 साल की उम्र तक मणि ने सार्वजनिक पुस्तकालयों की लगभग सारी किताबें पढ़ ली थी। जीवन भर वह एक उत्साही पाठक रही थी। 

नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन ने किया अन्ना का मार्गदर्शन

हाई स्कूल से पढ़ाई करने के बाद अन्ना मणि ने क्रिश्चियन कॉलेज में इंटरमीडिएट साइंस कोर्स किया था। इसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास में से भौतिकी और रसायन विज्ञान में ऑनर्स के साथ बैचुलर ऑफ साइंस की पढ़ाई पूरी की थी। ग्रेजुएशन पूरी करने के अन्ना ने एक साल के लिए डब्ल्यूसीसी में पढ़ाया और भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलौर में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए छात्रवृत्ति भी हासिल की थी। बैंगलोर में अन्ना ने नोबेल पुरस्कार विजेता रह चुके सी वी रमन के मार्गदर्शन में स्पेक्ट्रोस्कोपी(Spectroscopy) का अध्ययन किया । इसके बाद उन्होंने हीरे और मणिक में विशेषज्ञता हासिल की। इसके बाद साल 1942 और 1945 के मध्य अन्ना ने पांच पत्र भी प्रकाशित किए। अपनी पीएच.डी शोध प्रबंध और इंपीरियल कॉलेज लंदन में गैजुएशन कार्यक्रम शुरु किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता भी हासिल की।

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1948 में किया विज्ञान विभाग के लिए काम शुरु

मन्नी ने 1948 में भारत लौटने पर मौसम विभाग के लिए काम करना शुरु कर दिया। मौसम विभाग में उन्होंने देश को अपने बने मौसम उपकरणों के डिजाइन और निर्माण में भी सहायता की। उस समय के पुरुष प्रधान समाज में उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि 1953 तक उन्हें संभाग का हैड बना दिया गया। उनके नेतृत्व में 100 से भी ज्यादा मौसम उपकरणों के डिजाइन और उत्पादन के लिए सरल किया गया था। 

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सौर विकिरण निगरानी स्टेशन का नेटवर्क किया स्थापित

1950 के दशक में मणि ने सौर विकिरण निगरानी स्टेशनों का भी एक नेटवर्क स्थापित किया। इसके अलावा उन्होंने स्थायी ऊर्जा माप पर भी कई पत्र प्रकाशित किए थे। इसके बाद वह भारत में मौसम विभाग के डिप्यूटी डायरेक्टर जनरल बनी। इसके बाद वह संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन में कई सारे प्रमुख पदों पर भी मौजूद रही  थी। विज्ञान में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए मन्नी को साल 1987 में INSA K.R. Ramnathan Medal से सम्मानित किया गया था। मन्नी को बैंगलुरु में रमन अनुसंधान की ट्रस्टी के रुप में भी नियुक्त किया गया था। मन्नी ने एक ऐसी कंपनी की भी स्थापना की थी जो सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों का निर्माण करती है। 16 अगस्त 2001 को अन्ना मणि ने तिरुवनंतपुरम में दुनिया को अलविदा कह दिया था। 

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