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भारत की 14% आबादी कुपोषण का शिकार, नेपाल-पाकिस्तान की हालत बेहतर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 18 Oct, 2020 10:45 AM
भारत की 14% आबादी कुपोषण का शिकार, नेपाल-पाकिस्तान की हालत बेहतर

भारत में हर साल हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, जिसकी कारण कहीं ना कहीं बच्चों को खाना ना मिल पाना है। वहीं, हाल ही में भारत वैश्विक भूख सूचकांक (Global hunger index) की लिस्ट जारी की गई है, जिसमें सबसे ज्यादा भूखे लोगों वाले 107 देशों देशों के नाम बताए गए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इस लिस्ट में भारत का नाम सबसे ऊपर है।

सबसे ज्यादा भूखे लोगों वाले देशों में भारत शामिल

भारत वैश्विक भूख सूचकांक (Global hunger index) 2020 की लिस्ट में सबसे ज्यादा भूखे लोगों वाले देशों में भारत 94वें नंबर पर है। यही नहीं, भारत भूख की 'गंभीर' श्रेणी में है। विशेषज्ञों ने इसके लिए खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से निपटने का उदासीन दृष्टिकोण और बड़े राज्यों के खराब प्रदर्शन को दोषी ठहराया। हालांकि इस लिस्ट में पड़ोसी बांग्लादेश, म्यामांर और पाकिस्तान भी 'गंभीर' भी है लेकिन भूख सूचकांक की लिस्ट में भारत का स्थान सबसे ऊपर है।

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नेपाल-पाकिस्तान की हालत बेहतर

बता दें कि पिछले साल 117 देशों की लिस्ट में भारत 102वें स्थान पर था। ताजा लिस्ट में, बांग्लादेश 75वें, म्यामांर 78वें और पाकिस्तान 88वें स्थान पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल 73वें और श्रीलंका 64वें स्थान पर हैं। दोनों देश ‘मध्यम' श्रेणी में आते हैं। चीन, बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत सहित 17 देश भूख और कुपोषण पर नजर रखने वाले वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) में शीर्ष रैंक पर हैं।

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भारत में कुपोषण के कारण 3.7% बच्चों की मृत्यु

GHI की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत की कुल 14% आबादी कुपोषण की चपेट में है। इसमें  5 साल से कम उम्र के 3.7% बच्चों की मृत्यु हो जाती है। वहीं, 37.4 % बच्चे कुपोषण के कारण आगे नहीं बढ़ पाते। 1991 से अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के परिवारों में बच्चों के कद नहीं बढ़ पाने के मामले ज्यादा हैं। इनमें पौष्टिक भोजन की कमी, मातृ शिक्षा का निम्न स्तर और गरीबी आदि शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया, विशेष रूप से गरीब राज्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में प्री-मैच्योर डिलीवरी और कम वजन के चलते शिशु अपनी जान गवां बैठते हैं।

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उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले

वहीं, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि खराब क्रियान्वयन प्रक्रिया, प्रभावी निगरानी की कमी और कुपोषण से निपटने के लिए तकनीक का अभाव इसका मुख्य कारण है। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान, नई दिल्ली में वरिष्ठ शोधकर्ता पूर्णिमा मेनन ने कहा कि भारत की रैंकिंग में समग्र परिवर्तन के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय औसत उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से बहुत अधिक प्रभावित होता है…जिन राज्यों में वास्तव में कुपोषण अधिक है और वे देश की आबादी में खासा योगदान करते हैं। शोधकर्ता पूर्णिमा ने कहा कि भारत में पैदा होने वाला हर पांचवां बच्चा उत्तर प्रदेश में है। इसलिए यदि उच्च आबादी वाले राज्य में कुपोषण का स्तर अधिक है तो यह भारत के औसत में बहुत योगदान देगा।

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भारत में बदलेगी स्थिति लेकिन...

मेनन ने कहा कि भारत में बदलाव करने के लिए यूपी, झारखंड, मध्य प्रदेश और बिहार में भी चेंज लाना होगा। न्यूट्रीशन रिसर्च की प्रमुख श्वेता खंडेलवाल ने कहा कि देश में पोषण के लिए कई कार्यक्रम और नीतियां हैं लेकिन जमीनी हकीकत काफी निराशाजनक है। उन्होंने महामारी के कारण अभाव की समस्या को कम करने के लिए कई उपाय सुझाए। उन्होंने कहा कि पौष्टिक, सुरक्षित और सस्ता आहार तक पहुंच को बढ़ावा देना, मातृ और बाल पोषण में सुधार लाने के लिए निवेश करना, बच्चे का वजन कम होने पर शुरुआती समय में पता लगाने और उपचार के साथ ही कमजोर बच्चों के लिए पौष्टिक और सुरक्षित भोजन महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

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