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द करगिल गर्ल गुंजन सक्सेना, जिन्होंने 1999 युद्ध में पाकिस्तान को चटाई थी धूल

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 08 Oct, 2020 01:09 PM
द करगिल गर्ल गुंजन सक्सेना, जिन्होंने 1999 युद्ध में पाकिस्तान को चटाई थी धूल

1999 कारगिल युद्ध में जब पाकिस्तान कश्मीर पर गोलियां बरसा रहा था तब देश की बहादुर बेटियां गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन ने उस क्षेत्र में घुसकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। हम बात कर रहे हैं द कारगिल गर्ल के नाम से फेमस गुंजन सक्सेना की, जो आज हर लड़की के लिए प्ररेणा है। गुंजन सक्सेना 1999 में युद्ध में प्रवेश करने वाली पहली महिला लड़ाकू विमान चालकों में से एक थीं।

अब सवाल उठता है कि गुंजन सक्सेना कौन हैं और उन पर फिल्म बनने की वजह क्या है? 

5 साल की उम्र में देखा पायलट बनने का सपना

5 साल की उम्र में गुजन ने पहली बार कॉकपिट देखा था और तभी ठान लिया था एक दिन वह देश के लिए फाइटर जेट उड़ाएंगी। भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट रह चुकी हैं गुंजन सक्सेना फिलहाल रिटायर हो चुकी हैं। 'कारगिल गर्ल' के नाम से भी जानी जाने वाली गुंजन वो महिला है जिन्होंने डंके की चोट पर साबित किया कि महिलाएं न सिर्फ पायलट बन सकती है बल्कि जंग के मौदान में अपना लोहा मनवा सकती है।

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बिना हथियार किया दुश्मनों का सामना

1999 के कारगिल युद्ध में जब पाकिस्तानी सैनिक लगातार रॉकेट लॉन्चर और गोलियों से हमला कर रहे थे तब गुंजन ने निडर होकर चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया। गुंजन के एयरक्राफ्ट पर मिसाइल भी दागी गई लेकिन निशाना चूक गया और वो बाल-बाल बचीं। उन्होंने बिना किसी हथियार के पाकिस्तानी सैनिकों का मुकाबला किया। यही नहीं, वो जवानों से भरे हेलीकॉप्टर को द्रास व बटालिक की ऊंची पहाड़ियों से उड़ाकर वापस सुरक्षित स्थान पर भी लेकर आईं। 

बतौर पायलट ज्वॉइन की भारतीय वायुसेना

हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ही उन्होंने दिल्ली का सफदरगंज फ्लाइंग क्लब ज्वॉइन कर लिया था। उस समय उनके पिता और भाई दोनों ही भारतीय सेना में कार्यरत थे। तभी उन्हें पता चला कि IAF में पहली बार महिला पायलटों की भर्ती की जा रही है। फिर क्या था उन्होंने भी SSB परीक्षा दी और जिनमें वो पास भी हुई। इसके बाद उन्होंने बतौर पायलट भारतीय वायुसेना ज्वॉइन की।

पहली भारतीय महिला पायलट

हालांकि तब महिलाओं को पुरुषों के बराबर उड़ान भरने का मौका नहीं दिया जाता था। मगर, बावजूद इसके उनके बैच की महिलाओं ने पहली बार विमान उड़ाकर इतिहास ही रच ही दिया। मगर, उस वक्त महिलाओं को वॉर जोन में जाने की इजाजत नहीं थी और ना ही फाइटर प्लेन उड़ाने की अनुमति नहीं थी। ऐसा इसलिए क्योंकि तब यह साफ नहीं था कि महिलाएं युद्ध में मानसिक व शारीरिक तनाव का सामना कैसे करेंगी।

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1999 में कारगिल युद्ध दिखाया अपना शौर्य

मगर, फिर भी उन्हें मौका दिया गया, जो उन्हें 1999 में कारगिल युद्ध में मिला। दरअसल, जब युद्ध हो रहा था तो वायुसेना को पायलटों की तत्काल जरूरत थी और तब भारतीय वायुसेना ने महिला पायलटों को बुलाया। तब और श्री विद्या ने लड़ाई के दौरान कई घायल सैनिकों की जान बचाई और सही सलामत सामान को सीमा पर ले जाने का काम भी किया।

शौर्य चक्र से सम्मानित

अपने मिशन को पूरा करने के लिए उन्हें कई बार लाइन ऑफ कंट्रोल के बिल्कुल नजदीक से भी उड़ान भरी, जिससे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजिशन का पता लगाया जा सके। गुंजन सक्सेना को साहस और बहादुरी भरे काम के लिए भारत सरकार की ओर से शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

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गुंजन ने ना सिर्फ यह साबित किया कि वो देश की सच्‍ची सैनिक हैं बल्‍कि उन्‍होंने दुनिया को यह भी दिखा दिया कि महिलाएं क्‍या कर सकती हैं। अब अगर भारतीय वायुसेना में महिला पायलट भी फाइटर प्‍लेन उड़ा सकती हैं और इसका श्रेय कहीं न कहीं गुंजन सक्‍सेना को ही जाता है।

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