कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन के कारण लगभग कईयों के काम-काज ठप पड़ गए, लोगों की कमाई का जरिया भी हाथ से निकल गया जिस वजह से कई लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, उन्हीं में से एक जालंधर की पहली बाइक-टैक्सी ड्राइवर कांता चौहर भी हैं जिनका काम लॉकडाउन में बिल्कुल बंद हो गया, लगभग 5 महीने तक हालात ऐसे हो गए कि अब वो सड़क पर परांठा जंक्शन नाम की छोटी सी दुकान चला रही हैं। मगर कांता के इस काम से एक प्रेरणा जरूर मिलती हैं कि उन्होंने जॉब जाने के बाद हार नहीं मानी और फिर से घर चलाने के लिए नया बिजनेस शुरू कर दिया।
लॉकडाउन में हाथ से निकली जॉब
दरअसल, जब कांता के हाथों से जॉब चली गई तो उन्होंने सोचा खाना तो सभी को खाना है, तो उन्होंने परांठा जंक्शन नाम का छोटा सा ढाबा खोल लिया जिसमें कस्टमर की भीड़ भी अच्छी खासी लगी रहने लगी हैं। कांता के इस ढाबे में मेन मैन्यू परांठा ही है जहां उनके साथ मिलकर उनके पति भी काम करते है। इस ढाबे में उनके पति का पूरा-पूरा योगदान रहा। कांता का कहना है कि उन्होंने खुद अपनी पहली जॉब छोड़ी क्योंकि कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग काफी जरूरी था। हालांकि, इस बीच उन्होंने कई कंपनियों में ट्राई तो किया लेकिन सभी ने यह कहकर मना कर दिया कि अभी कोई भर्ती नहीं है। इस दौरान उनके पति भी बेरोजगार हो गए जोकि डिलीवरी मैन का काम किया करते थे, फिर उनके मन में अपना ढाबा खोलने का विचार आया। कांता का स्टाल सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता हैं और यहां कस्टमर्स की पसंद के हिसाब से खाना मिलता है। स्टाल में लगभग 30-40 ग्राहक प्रतिदिन दुकान पर आते हैं।
कांता का कहना है कि बाइक-टैक्सी ड्राइविंग का काम नहीं छो़ड़ना चाहती। वह कहती है कि जब चीजें पहले की तरह सामान्य हो जाएगी तो वो अपने ढाबे से वक्त निकालकर कम से कम 2-3 घंटे के लिए बाइक टेक्सी की जॉब शुरू करेगी क्योंकि इसी ने उन्हें पहचान दी हैं। चलिए अब जानते है कांता की हाउस वाइस से जालंधर की पहली बाइक टैक्सी ड्राइवर बनने की जर्नी...
जालंधर की पहली बाइक-टैक्सी ड्राइवर कांता चौहान
दरअसल, कांता मनाली की रहने वाली हैं और 12वीं पास है। 2006 में वो संत राम के साथ शादी कर जालंधर आ गई, उनके पति ऑटो चलाया करते थे। शादी के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन पति के एक्सीडेंट के बाद उनकी जिंदगी ही उथल-पुथल हो गई। सारी जमा पूंजी भी पति के इलाज में लग गई। हालात ऐसे हो गए कि खाने के लाले पड़ गए, ऐसे में पति का आगे इलाज कैसे करवाती। ऐसे में पति की सलाह ने सलाह दी कि वो किसी प्राइवेट कंपनी में कैब ड्राइवर बन जाए। कांता को पति का सुझाव अच्छा लगा तो वो एक टैक्सी सर्विस कंपनी से जुड़ गई। काम के पहले दिन ही कांता ने करीब 30 लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाया। शुरूआत में तो कांता सिर्फ महिला सवारी लेती थी लेकिन फिर उनके हौंसले इतने बुलंद हो गए कि उन्होंने पुरुषों को भी उनकी मंजिल तक पहुंचाना शुरू कर दिया। ऐसे है कांता की जालंधर की पहली बाइक-टैक्सी ड्राइवर बनने की कहानी।
पति की दी सलाह आई कांता के काम
कांता की जिंदगी में 2 बार ऐसे मोड़ आए जब उनके घर के हालात बिगड़ते चले गए लेकिन दोनों बार ही पति की दी सलाह उनके काम आई, पहले बाइक टैक्सी ड्राइवर और अब खुद का ढाबा चलाकर महिलाओं को प्रेरणा दे रही हैं। कांता चौहान आज उन तमाम महिलाओं के लिए मिसाल है, जो हालात के आगे हथियार डाल देती हैं या फिर कुछ न कर पाने का रोना रोती रहती हैं।