आज पूरे दक्षिणी भारत में ओणम मनाई जा रही है। इस त्योहार को उन्नति, खुशहाली और विनम्रता का प्रतीक माना जाता है। ओणम को मलयालम भाषा में थिरुवोणम कहते हैं। 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाने वाला यह त्योहार 20 अगस्त से शुरु हुआ था। मुख्य तौर पर इसे खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, केरल में एक महाबलि नाम का एक असुर राजा रहता था उसी के आदर में ओणम का यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है। इस त्योहार को और क्या मान्यता है और यह क्यों मनाया जाता है आज आपको इस बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं...
मलयालम नववर्ष की होती है शुरुआत
ओणम के दिन से मलयालम नववर्ष शुरु होता है। यह त्योहार मलायलम कैलेंडर के चिंगम माह में मनाया जाता है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।
राजा महाबलि से है त्योहार का संबंध
इस त्योहार का संबंध राजा महाबलि से मना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब असुर राजा महबलि ने देवलोक में अपना राज स्थापित कर लिया था लेकिन एक ब्राह्माण की इच्छा पूरी करन के लिए उन्हें पाताल लोक में जाना पड़ा। यह ब्राह्माण कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु थे जिन्होंने वामन अवतार लेकर राजा महाबलि से तीन पग भूमि मांग ली थी। दो पग में उन्होंने आकार और धरती को नाप लिया था जब कोई जगह नहीं बची तो तीसरी पग के लिए महाबलि ने अपना सिर आगे कर दिया था।
प्रजा से मिलने आते हैं राजा महाबलि
भगवान विष्णु ने महाबलि की यह उदारता देख उन्हें पाताल भेज दिया और उन्हें पाताल का राजा बना दिया। भगवान विष्णु महाबलि से बहुत ही खुश हुए और उन्होंने वरदान दिया कि साल में एक बार तुम अपनी प्रजा से मिलने के लिए आ सकते हो। इसके बाद से ही राजा महबलि हर सावन महीने के श्रवण नक्षत्र में अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं।
रंगोली बनाकर किया जाता है स्वागत
इस त्योहार पर लोग रंगोली बनाकर राजा का स्वागत करते हैं और एक दूसरे को त्योहार की बधाई देते हैं। पकवानों से थालियों को पूरी तरह सजाया जाता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।